छत्तीसगढ़ का लोक पर्व छेरछेरा आज, राज्यपाल और CM भूपेश ने दी बधाई

Governor CM on Chherchera: राज्यपाल अनुसुईया उइके ने प्रदेशवासियों को लोक पर्व छेर-छेरा की शुभकामनाएं दी है। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि छेर-छेरा पर्व नई फसल के खलिहान से घर आने के बाद मनाया जाता है। छेर-छेरा के दिन द्वार-द्वार पर ‘छेरी के छेरा …, छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा…’ की गूंज सुनाई पड़ती है और प्रदेशवासी उल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। ये छत्तीसगढ़ की महान ग्राम्य और कृषि संस्कृति-परपंरा को भी दर्शाता है। ये त्यौहार प्रदेश की दानशीलता की परम्परा को भी जीवंत करता है। राज्यपाल उइके ने इस पावन दिवस पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के धन-धान्य से सदैव परिपूर्ण होने और नागरिकों की खुशहाली की कामना की।

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वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा की बधाई और शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है। CM बघेल ने छेरछेरा पर्व की पूर्व संध्या पर जारी अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि महादान और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला छेरछेरा पुन्नी तिहार हमारी सामाजिक समरसता, दानशीलता की और समृद्ध गौरवशाली परम्परा का संवाहक है। (Governor CM on Chherchera)

इस दिन ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा’ बोलते हुए गांव के बच्चे, युवा और महिलाएं खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं और इकट्ठा किए गए धान और राशि से सालभर के लिए कार्यक्रम बनाते हैं। ये नई फसल के घर आने की खुशी में पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी दिन मां शाकम्भरी जयंती भी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं। (Governor CM on Chherchera)

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों में उदारता के कई आयाम दिखाई देते हैं। यहां उत्पादित फसल को समाज के जरूरतमंद लोगों, कामगारों और पशु-पक्षियों के लिए देने की परम्परा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की अमूल्य धरोहरों और पौराणिक परम्पराओं का संवर्धन और संवहन हो सके, इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने छेरछेरा तिहार पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि छेरछेरा तिहार भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त कर मिल-जुलकर जीना सिखाता है। छत्तीसगढ़ की इस समृद्ध परम्परा और सभ्यता को भावी पीढ़ी तक ले जाना हम सबका दायित्व है। (Governor CM on Chherchera)

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