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Coal crisis : सिर्फ 8 दिन का कोयला बाकी, गर्मी में ब्लैकआउट का खतरा

Coal crisis : रायपुर में बढ़ती गर्मी के साथ बिजली की डिमांड पीक पर पहुंच गई है, लेकिन कोयले की कमी के कारण बिजली संकट गहरा सकता है। देश में बिजली की डिमांड पिछले साल के 200 गीगावाट के अब तक के उच्च स्तर के करीब है। इससे बिजली संयंत्रों में कोयला आपूर्ति की स्थिति चिंताजनक हो गई है। घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों (डीसीबी) के पास सिर्फ 8 दिन और आयातित कोयले पर आधारित संयंत्रों (आईसीबी) के पास साढ़े नौ दिन का स्टॉक ही बचा है।

संकट नहीं सुलझा तो भीषण गर्मी में ब्लैकआउट का खतरा पैदा हो सकता है। संकट की झलक बीते 8 अप्रैल को दिख चुकी है। उस दिन देश में बिजली की अधिकतम मांग 199.58 गीगावाट तक पहुंच गई तो कोयले की कमी के कारण कुल 7085 मेगावाट बिजली गुल रही। इसके बाद हालात कुछ सुधरे हैं, वह भी कोयला सप्लाई बढऩे के कारण नहीं बल्कि दिन के दौरान बिजली की अधिकतम मांग घटने के कारण।

उत्पादन बढऩे के आसार नहीं

रेटिंग एजेंसी फिच की 7 अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन में वृद्धि की संभावना नहीं है। कोयले की उपलब्धता सीमित है, जो उत्पन्न बिजली का दो तिहाई हिस्सा है। वहीं इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) के अनुसार इस वित्त वर्ष के 3 महीनों यानी अप्रैल, मई और जून में घरेलू उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग के साथ बिजली की मांग बढ़ेगी। मौसम की स्थिति में अभूतपूर्व बदलाव के कारण तापमान में उम्मीद से ज्यादा वृद्धि हुई है।

और बढ़ेगी मांग!

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार कुछ राज्य कोयले की कमी के कारण इसे अधिक खरीद रहे हैं। आयातित कोयले व गैस की कीमतें रेकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। आयातित कोल आधारित क्षमता का 50 फीसदी से अधिक उच्च कीमतों और हाई लॉजिस्टिक लागत के कारण चालू नहीं है। इसलिए मांग और बढ़ेगी।

रैक व लोडिंग-अनलोडिंग का मुद्दा

बिजली और गैर-विद्युत क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति कोयला, बिजली व रेलवे मंत्रालयों से नियंत्रित होती है। जहां रेलवे रैक की लोडिंग-अनलोडिंग में देरी के लिए कोल माइनिंग पीएसयू व पावर प्लांट्स को दोषी ठहराता है, वहीं कोयला मंत्रालय रेलवे को आवश्यक संख्या में रैक की आपूर्ति नहीं करने का दोष मढ़ता है।

दावा: एक माह के कोयले का स्टॉक

उधर, बिजलीघरों में कोयले को लेकर हाहाकार के बीच कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने दावा किया है कि देश में कोयले की कमी नहीं है। कहा कि हमारे विभिन्न स्रोतों में 72.50 मिलियन टन कोयला उपलब्ध है। ताप बिजलीघरों के पास 22.01 मिलियन टन कोयला उपलब्ध है। यह स्टॉक एक माह तक चलेगा। कोयला मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2020-21 के दौरान 716 मिलियन टन की तुलना में 2021-22 में कोयला उत्पादन 777.23 मिलियन टन तक पहुंच गया है। इसमें 8.55 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।

कोयले की ढुलाई 11.10 करोड़ टन बढ़ी

भारतीय रेल ने बिजलीघरों में कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए अहम उपाय किए हैं। इस साल कोयले की ढुलाई रेकॉर्ड 11.10 करोड़ टन बढ़ा दी और 65.30 करोड़ टन कोयले का लदान किया। यह गत वर्ष के 54.20 करोड़ टन की तुलना में 20.4 फीसदी ज्यादा है। अप्रैल में बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की आपूर्ति 10 फीसदी से ज्यादा कर दी है।

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