रविवि में शोध चोरी रोकने नई व्यवस्था लागू, थिसिस में कॉपी करने पर होगी कार्रवाई

Ravi Shankar Shukla University: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने शोध चोरी को रोकने के लिए नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत शोधार्थियो को अपनी थिसिस यूनिकोड फांट में ही जमा करनी होगी। शोधार्थी अपने थिसिस में किसी अन्य व्यक्ति के शोध का 10 प्रतिशत कंटेंट लेता है तो उसे छूट है, लेकिन वो 10 से 40 प्रतिशत तक के कंटेंट को अपने शोध में शामिल करता है, तो उसे 6 माह के भीतर दोबारा थिसिस जमा करनी होगी।

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अगर शोधार्थी 60 प्रतिशत कंटेंट की चोरी करता है तो शोधार्थी को एक साल के भीतर दोबारा थिसिस जमा करनी होगी। 60 प्रतिशत से ज्यादा कंटेंट की चोरी करता है तो शोधार्थी का रजिस्ट्रेशन ही रद्द कर दिया जाएगा। यानी दोबारा वो कभी भी PHD के लिए अप्लाई नहीं कर पाएगा। इस नियम के जरिए शोध चोरी रोकी जा सकती है। साथ ही शोधार्थियों को भी इन बातों पर ध्यान देना जरूरी है। (Ravi Shankar Shukla University)

बता दें कि रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में तीन साल बाद वार्षिक परीक्षाएं ऑफलाइन हो रही है। लगातार तीन साल तक छात्रों ने घर से आंसरशीट लिखकर परीक्षा के लिए जमा की। ऑनलाइन परीक्षा होने की वजह से कोरोना के दौरान हर साल परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ती ही गई। लेकिन इस साल परीक्षा ऑफलाइन होने की वजह से छात्रों की संख्या कम हो गई। पिछले साल वार्षिक परीक्षा के लिए रविवि को 1.82 लाख आवेदन जमा हुए थे, लेकिन इस साल अभी तक 1.48 लाख फॉर्म ही जमा हुए हैं। यानी पिछले साल से 34 हजार कम है। (Ravi Shankar Shukla University)

कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले तीन साल यानी 2020 से 2022 तक की वार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन हुई। इस दौरान नियमित की तुलना में प्राइवेट से परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ी थी। पिछली बार 1.82 लाख जमा हुए आवेदनों में प्राइवेट छात्रों की संख्या करीब सवा लाख थी। 2020 में एमए इंग्लिश प्रीवियस में प्राइवेट से परीक्षा देने वाले 1887 छात्र थे। 2021 में यह संख्या बढ़कर 2544 और 2022 में 3534 तक पहुंच गई। एमए हिंदी प्रीवियस में 2020 में 2892 छात्र थे। (Ravi Shankar Shukla University)

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