Rice Export Duty Hike : चावल निर्यात पर सरकार का सख्त कदम, विदेशी बाजार में दाम बढ़ेंगे
Rice Export Duty Hike : केंद्र सरकार बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने और घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए अलग-अलग उपाय कर रही. इसी कड़ी में, सरकार ने अब एक और बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने लूज बासमती चावल के रूप में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को रोकने की पहल की है. इस फैसले से 1200 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर अनुबंधित सभी बासमती चावल के निर्यात को अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा.
इससे पहले सरकार बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के कच्चे चावल निर्यात बैन लगा चुका है. एक्पोर्ट ड्यूटी लगने से भारत के चावल निर्यात में कमी आएगी जो अमेरिका, थाइलैंड समेत विदेशी बाजारों में चावल की कीमतों को बढ़ा देगी.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात (Rice Export Duty Hike) पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह देखा गया है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद इस वर्ष चावल का निर्यात अधिक रहा है. 17 अगस्त 2023 तक चावल का कुल निर्यात टूटे हुए चावल को छोड़कर, जिसका निर्यात बैन है) पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.37 एमएमटी की तुलना में 7.33 एमएमटी रहा और इसमें 15.06% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
उबले हुए चावल और बासमती चावल के निर्यात में भी तेजी देखी गई है. इन दोनों किस्मों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था. उबले हुए चावल के निर्यात में 21.18% (पिछले वर्ष के दौरान 2.72 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 3.29 एमएमटी) बढ़ा है, वहीं बासमती चावल के निर्यात में 9.35% की बढ़ोतरी हुई है (पिछले वर्ष के दौरान 1.70 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 1.86 एमएमटी).
गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात (Rice Export Duty Hike), जिसमें 9 सितंबर,2022 से 20% निर्यात शुल्क लगाया गया था और 20 जुलाई,2023 से बैन कर दिया गया है, में भी 4.36% (पिछले वर्ष के दौरान 1.89 एमएमटी की तुलना में 1.97 एमएमटी) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
दूसरी ओर, कृषि और किसान कल्याण विभाग के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, रबी सत्र 2022-23 के दौरान उत्पादन 158.95 एलएमटी रहा, जबकि 2021-22 के रबी सत्र के दौरान यह 184.71 एलएमटी था, और इसमें 13.84% की गिरावट दर्ज की गई.