पुरुषों के लिए नहीं बनाया जाएगा राष्ट्रीय आयोग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगा सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया, जिसमें पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता. हर मामले में अलग परिस्थितियां होती हैं. यह विषय ऐसा नहीं है जिसमें कानून में कोई व्यवस्था ही नहीं है.

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दरअसल, अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी ने यह याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि शादीशुदा मर्दो में आत्महत्या करने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. साथ ही याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का आंकड़ा दिया गया है. याचिका में ये भी मांग की गई थी कि पुरुषों की समस्याओं को समझने और उनके हल के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से यह कहा

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा, “आप सिर्फ एकतरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं। क्या आप हमें शादी के बाद जान गंवाने वाली युवा लड़कियों का आंकड़ा दे सकते हैं। कोई भी सुसाइड नहीं करना चाहता। यह अलग-अलग मामलों में तथ्यों पर आधारित बात है।”यह याचिका वकील महेश कुमार तिवारी की ओर से दायर की गई थी। याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की देश में दुर्घटनावश होने वाली मौतों के आंकड़ों का हवाला दिया गया। Supreme Court

शादीशुदा पुरुषों ने की ज्यादा आत्महत्या

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में देश में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। याचिका में कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले लोगों में से 81,063 पुरुष थे और 28,680 महिलाएं थी। याचिका के अनुसार, साल 2021 में 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते आत्महत्या की। वहीं महिलाओं में ये आंकड़ा 4.8 प्रतिशत है। Supreme Court

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