जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर भारत का करारा जवाब, कहा- हमें लेक्चर न दे पाकिस्तान

पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसका भारत के प्रतिनिधि हरिवंश नारायण सिंह ने कड़ा विरोध किया। दरअसल, स्विटजरलैंड के जेनेवा में इंटर-पार्लयामेंट्री यूनियन यानी IPU असैंबली की बैठक में हरिवंश ने कहा कि मैं पाकिस्तान की तरफ से भारत के खिलाफ की गई बेतुकी टिप्पणियों को खारिज करता हूं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यह मेरा सौभाग्य है कि कई लोग भारत को मॉडल के तौर पर देखते हैं। ऐसे में उस देश से लेक्चर मिलना, जिसका लोकतंत्र को लेकर बेहद खराब रिकॉर्ड रह है काफी हास्यास्पद है।

दरअसल, पाकिस्तान ने अपने घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए एक बार फिर से IPU में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। IPU वो संस्था जो दुनियाभर की संसदों को साथ लाने का काम करती है। भारतीय प्रतिनिधि ने राइट टु रिप्लाई (जवाब देने के अधिकार) का इस्तेमाल करते हुए IPU को आतंक पर पाकिस्तान के खराब रिकॉर्ड की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि यह वही देश है जहां ओसामा बिन लादेन मिला था। पाकिस्तान का रिकॉर्ड रहा है कि यहां सबसे ज्यादा आतंकी संगठन पाए जाते हैं। मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान अपने नागरिकों की भलाई के लिए कुछ सबक सीखेगा। पाकिस्तान के बायन पर हरिवंश ने कहा कि पाकिस्तान को इस प्लेटफॉर्म का महत्व समझते हुए यहां बेतुके आरोप मढ़ने से बचना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और रहेगा। कोई भी प्रौपेगेंडा इस तथ्य को बदल नहीं सकता। ऐसे में पाकिस्तान के लिए बेहतर होगा कि वो आतंकियों को पानह देकर कश्मीर में आतंकी हमले करवाना बंद करे। इससे पहले 23 मार्च को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान उद्योग की तरह आतंक का उत्पादन करता है, लेकिन भारत का मूड अब आतंकियों को दरकिनार करने का नहीं है। भारत अब आतंक की समस्या को नजरअंदाज नहीं करेगा। पाकिस्तान से जुड़े सवाल पर जयशंकर ने कहा था कि हर देश एक स्थिर पड़ोस चाहता है। अगर स्थिर नहीं तो कम से कम पड़ोसी शांत हो। हम अच्छा पड़ोसी मिलने के मामले में थोड़े दुर्भाग्यशाली रहे हैं। आप एक पड़ोसी से कैसे डील करेंगे जो इस बात को छुपाता तक नहीं कि वो आतंक का इस्तेमाल देश को चलाने में करता है। इस बात को इग्नोर कर हम कोई रास्ता नहीं निकाल सकते।

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