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हाय रे महंगाई की मार: लग्जरी कार के जगह बैलगाड़ी से निकाली बारात

Unique Wedding : बलौदाबाजार जिला में ग्राम कोनारी के एक युवक ने अपनी शादी में परंपराओं का पालन कर मिसाल पेश की। युवक को शादी के जोड़े में तैयार कर बैलगाड़ी में जब बारात निकला तो हर कोई उसे देखते ही रह (Unique Wedding) गया। पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए दूल्हा ने यह फैसला लिया था। जिसमें खुशी-खुशी परिवार वाले भी शामिल हुए।

आज के आधुनिक युग में ग्राम कोनारी (पलारी) का युवक दो बैलगाड़ी के साथ बारात लेकर 3 किमी की दूरी तय कर मल्लिन पहुंचे। वहीं बाराती लोग गाड़ा बाजा के साथ पैदल ही पहुंचे। जहां दुल्हा डेगेश्वर उर्फ संदीप साहू का कहना है कि हमारी पुरानी परंपरा विलुप्त होती जा रही थी। उसे जीवित रखने के लिए व बढ़ती महंगाई को भी देखते हुए मैंने यह निर्णय लिया है। वह दुल्हन को भी बैलगाड़ी से लेकर जाने की बात कही।

बैलगाड़ी से निकली बारात में युवा वर्ग के लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। युवाओं के लिए यह नई बात है लेकिन यह बुजूर्गों के लिए बहुत ही पुरानी बात है। जब गाड़ी, मोटर साइकिल का निर्माण नहीं हुआ था तब अधिकतर लोग बैलगाड़ी से ही बारात लेकर जाते थे। वह दुल्हन को भी साथ लेकर बैलगाड़ी से ही बहुत ही लम्बा सफर तय कर आते थे। यह प्राचीन सभ्यता थी। लेकिन आधुनिक युग में यह पूरी तरह बंद हो गया है।

लेकिन कोनारी से डेगेश्वर उर्फ संदीप साहू के द्वारा आज भी आधुनिक युग में बैलगाड़ी से बारात लेकर जाने से गांव में बुजूर्गों के द्वारा पुरानी बात याद करते हुए बीते दिन याद आ गए। वहीं दुल्हे के पिता का कहना है कि बढ़ते पेट्रोल व डीजल से गाड़ी के किराया के दाम भी बढ़ गए हैं। इसको देखते हुए बैलगाड़ी से जाने का निर्णय लिया गया है। वह हमारी पुरानी संस्कृति है। बैलगाड़ी से निकला दुल्हा डेगेश्वर काफी गरीब परिवार से है।

वह पढ़ाई पूरी कर बेरोजगार होने पर मकान मिस्त्री का काम करता है। दूल्हा ने आगे कहा कि बैलगाड़ी से बारात जाना छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा हैै। जिसे निभाना चाहिए। खासकर तब जब परंपरा को निभाना संभव हो, लेकिन आजकल के चमक दमक में ही लोग उलझे हुए हैं।

दुल्हा डेगेश्वर ने बताया कि शादी के पहले मेरे मन में विचार आया कि छत्तीसगढ़ की परंपरा को संजोकर कैसे रखना है। इसलिए पुराना परंपरा के साथ विवाह करने का सोचा। मेरे इस फैसले से पूरा परिवार और यहां तक की रिश्तेदार भी खुश हुए और खुशी-खुशी बारात में भी गए। दूल्हे ने बताया कि जब बारात दुल्हन की गांव मल्लिन पहुंचा तो देखने के लिए काफी संख्या में लोग उमड़ पड़े। गांव के एक बुजूर्ग ने बताया कि लगभग 35-40 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में बैलगाड़ी से ही बारात जाते थे। उसके बाद से यह परंपरा खत्म सी हो गई है। इसके बाद आधुनिक युग में लोग अब गरीब से गरीब लोग भी कार से बारात लेकर पहुंचते हैं। इसे 21वीं सदी में यह अनोखा शादी ही कहा जाएगा।

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