जीवन एक पतंग विषय पर परिचर्चा, आचार्य अंकित ने कराया वैदिक यज्ञ

Jivan Ek Patang: आर्य समाज के तत्वावधान में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पहले चरण में आचार्य अंकित ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण करके वैदिक यज्ञ संपन्न कराया। ईशा और अंकित आचार्य ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किए हैं। रामबाबू गुप्ता ने अपने विचार रखें। मंत्री प्रवीण गुप्ता ने कार्यक्रम का संयोजन किया। प्रमुख वक्ता आचार्य डॉक्टर अजय आर्य छत्तीसगढ़ ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि मकर संक्रांति, संक्रांति का पर्व है। उपनिषदों की प्रार्थना का सार है कि हम अपने जीवन को अंधकार से प्रकाश असत्य से सत्य मृत्यु से अमृत की ओर ले जाने का संकल्प ले।

यह भी पढ़ें:- सामाजिक समन्वय के लिए तेली समाज ने किया विचार गोष्ठी का आयोजन 

उन्होंने कहा कि जब सारी दुनिया में ठंड बढ़ी हुई है तब मकर संक्रांति में प्रकाश बढ़ता है सूर्य का तेज बढ़ता है और व्यक्ति राहत महसूस करता है प्रकृति प्रकाश को बढ़ा रहे हैं तब हम सभी को अपने जीवन में सच्चाई ईमानदारी सकारात्मकता सत्य को बल बुद्धि को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य ने चुटकी लेते हुए कहा कि एक व्यक्ति अंधकार को रोकने के लिए अस्त्र उठा लेता है लाठी घुमाने लगता है गाली गलौज करने लगता है ऐसा करने से अंधकार नहीं रुकता। एक दीप जलाने से अंधेरा दूर हो जाता है। जीवन का अंधकार भी ऐसा है सत्संग का प्रकाश इस अंधकार को दूर कर सकता है। (Jivan Ek Patang)

आचार्य ने कहा कि गीता में ज्ञान को सबसे बड़ा दान कहा गया है। मकर संक्रांति देने का पर्व है। सबको हंसी खुशी प्रेम सद्भाव देने का प्रयास करना चाहिए । कुछ मीठा हो जाए इस संदर्भ में आपकी वाणी से मीठा कुछ भी नहीं। आपकी वाणी से कड़वा ही कुछ नहीं इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए । आचार्य ने चुटकी लेते हुए कहा कि एक बार एक व्यक्ति किसी ने पूछा कि दुनिया का सबसे पुराना जीव कौन सा है उसने कहा जेब्रा। क्यों पूछने पर उसने जवाब दिया क्योंकि वह अभी भी ब्लैक एंड वाइट है। आज की कलरफुल दुनिया में हम ब्लैक एंड वाइट को आउटडेटेड समझते हैं। (Jivan Ek Patang)

उन्होंने ये भी कहा कि जीवन में अध्यात्मिक सत्संग भक्ति प्रेम दया करुणा का रंग अवश्य होना चाहिए। उसके बिना दुनिया और जिंदगी दोनों ही बेरंग है। पतन का यही सबसे बड़ा संदेश है कि वह आप सामान को तभी सो सकती है जब उसकी डोर किसी ने थामी हो अन्यथा वह भटक कर बेसहारा होकर गिर जाती है। जो पतंग डोर से बंधी नहीं है उसकी सद्गति या फिर उड़ान संभव नहीं है। जीवन का भी यही है जो जीवन अध्यात्म की डोर से बंधा नहीं है मूल्य हीन हो जाता है। (Jivan Ek Patang)

Related Articles

Back to top button