Ghulam Nabi Azad: गुलाम ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी पर बोला हमला, कहा-  मीनिंगलेस

Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के खिलाफ हमलावर हो गई है। नबी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इस संस्था का कोई मतलब नहीं रह गया है। ये अब अर्थहीन हो गई है। उन्होंने PM मोदी की लगातार आलोचना करने के राहुल गांधी की पॉलिसी पर भी निशाना साधा है। आजाद ने बताया कि मौजूदा CWC अर्थहीन है। सोनिया गांधी के नेतृत्व में सिर्फ CWC ही अहम थी, लेकिन बीते 10 सालों में इस कमेटी में 25 सदस्य हो गए हैं और 50 लोगों को खास इनवाइट देकर जोड़ा गया है।

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उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी नेताओं से सलाह लेकर फैसले लेने में यकीन करते थे, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में यह सब बर्बाद हो गया। आजाद ने आगे कहा कि उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने PM मोदी से नजदीकी के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दिया है। गुलाम ने कहा कि मोदी तो सिर्फ एक बहाना हैं, कांग्रेस लीडरशिप को मुझसे तब से परेशानी है जब से G23 ने पत्र लिखकर आला-कमान को सुझाव दिए थे। वे कभी नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें पत्र लिखे, उनसे सवाल पूछे। तब से कई कांग्रेस मीटिंग हो चुकीं, लेकिन कभी कोई सुझाव नहीं माना गया। (Ghulam Nabi Azad)

राहुल मोदी जी से मिले हैं कि मैं मिला हूं ?: नबी

उन्होंने कहा कि मुझसे कहा जा रहा है कि मैं मोदी से मिला हुआ हूं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मोदी और भाजपा से वो मिले हैं, जिन्होंने उनका सपना पूरा किया है। मैं उनके साथ मिला हूं। ये बात तो खुद नरेंद्र मोदी ने भी कही थी कि राहुल गांधी उनके खिलाफ बयानबाजी करते हैं और फिर संसद में गले मिलकर कहते हैं कि हमारा दिल साफ है। तो आप बताइए कि वो लोग मोदी जी से मिले हैं कि मैं मिला हूं। (Ghulam Nabi Azad)

सोनिया ने मुझ पर भरोसा किया: गुलाम

आजाद ने कहा कि 1998 से 2004 के बीच सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं से राय लेती रहीं। वे उनकी सलाह मानती थीं और उनके पूछे बिना कोई फैसला नहीं लेती थीं। उन्होंने मुझे 8 राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी, मैंने उसमें से सात राज्यों में जीत दिलाई। उन्होंने मेरे काम में दखलंदाजी नहीं की, लेकिन जब राहुल गांधी आए, तो 2004 के बाद सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं की बजाय राहुल गांधी की ही बात मानने लगीं। राहुल के पास राय देने का कोई अनुभव या कला नहीं है, फिर भी सोनिया गांधी चाहती थीं कि सभी नेता राहुल के हिसाब से काम करें। (Ghulam Nabi Azad)

चौकीदार चोर है के नारे ने कांग्रेस में डाली दरार: नबी

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राहुल गांधी के बीच दरार तब साफ हुई, जब राहुल ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया। किसी वरिष्ठ नेता ने इस नारे का समर्थन नहीं किया। राहुल ने पार्टी मीटिंग में पूछा था कि जिन्हें नारा अच्छा लगा वे हाथ ऊपर उठाएं। तब कई बड़े नेताओं ने इस नारे को लेकर असहमति दर्ज कराई थी। उस बैठक में मनमोहन सिंह, एके एंटनी और पी चिदंबरम भी थे। (Ghulam Nabi Azad)

आजाद ने कहा कि हमने अपनी राजनीतिक पढ़ाई इंदिरा गांधी के नेतृत्व में की है। जब मैं जूनियर नेता था, तो वे ML फोटेदार और मुझे कहा करती थी कि हम अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलते रहें। हमें सिखाया गया था कि हमें अपने से बड़ों की इज्जत करनी चाहिए और विपक्ष के नेताओं को उतना ही सम्मान देना चाहिए, जितना अपनी पार्टी के नेताओं को देते हैं। लेकिन राहुल की पॉलिसी सिर्फ मोदी पर हमला करने की है। वे हर तरफ से मोदी पर हमलावर रहते हैं। (Ghulam Nabi Azad)
गुलाम ने कहा कि उनके मन में राहुल गांधी के प्रति कोई निजी द्वेष नहीं है। वे एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन राजनीतिज्ञ के तौर पर उनमें वो बात नहीं है। उनमें हार्डवर्क करने की कुशलता नहीं है। कांग्रेस पार्टी में चुनाव के सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं कांग्रेस के लिए दुआ ही कर सकता हूं, लेकिन कांग्रेस मेरी दुआ से ठीक नहीं होगी उसके लिए दवा चाहिए। अभी उसका डॉक्टर कंपाउंडर है। अभी कांग्रेस को स्पेशलिस्ट की जरूरत है।

मोदी से कौन ज्यादा करीबी दिख गया: गुलाम

आपका रिमोट कंट्रोल भाजपा के हाथ में है’ के सवाल पर गुलाम आजाद ने कहा कि घर वालों ने घर छोड़ने पर मजबूर किया और जहां घर वालों को लगे कि यह आदमी नहीं चाहिए तो अकलमंदी खुद घर छोड़ने में है, जो शख्स अपनी स्पीच खत्म करने के बाद भरी सदन में PM से गले मिले, तो वे मिले हैं या मैं मिला हूं’। पहले जयराम रमेश अपना DNA चेक करवाएं कि कहां के हैं और किस पार्टी से हैं, वह देखें कि उनका DNA किस-किस पार्टी में रहा है। बाहर के लोगों को कांग्रेस का अता-पता नहीं है। चापलूसी और ट्विट कर जिन्हें पद मिले अगर वे आरोप लगाएं तो हमें दुख होता है।

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