मोहर्रम कल, ताजिए तैयार पर मातमी जुलूस निकलेगा या नहीं इसपर संशय जारी

रायपुर। छत्तीसगढ़

शुक्रवार को मोहर्रम मनाया जायेगा। मुस्लिम समाज इसकी पूरी तैयारी कर ली है। शहरभर में 40 से अधिक ताजिए बनाये गए हैं। जिनकी ऊंचाई 7 से 14 फ़ीट तक की बताई जा रही है। जुलूस में शामिल होने युवा भी अपनी टोली बना रहे हैं। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है की मातमी जुलूस निकला जायेगा या नहीं।

क्यों मनाया जाता है मोहर्रम

मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है। इसे इस्लाम के 4 पवित्र महीनों में शुमार किया गया है। अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद ने इस महीने को अल्लाह का महीना कहा है। इस पवित्र माह की 10वीं तारीख को ईराक के कर्बला में हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया गया था। इसी घटना की याद में हर साल इस दिन को यौमे आशूरा कहा जाता है। शिया समुदाय में पुरे मोहर्रम काले कपड़े पहनने का रिवाज है। इसके अलावा जगह-जगह पर मजलिसे भी होती है जिसमें सभी इमाम हुसैन को याद कर गम जाहिर करते हैं।

अब तक नहीं मिली जुलूस की मंजूरी

कोरोना संक्रमण के कारण इस समय धार्मिक रैलियों के लिए प्रशासन की अनुमति जरुरी है। बड़े त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के लिए प्रशासन खुद ही गाइडलाइन जारी कर देता है, लेकिन मोहर्रम पर निकलने वाले जुलूस को लेकर अभी तक कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किये गए हैं। इसीलिए मुस्लिम समाज संशय में है और प्रशासन से स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की है।

रायपुर में दो जगहों मोमिनपारा और पंडरी से ताजिया निकलने की परंपरा है। मातमी जुलूस भी इनके साथ-साथ ही चलते हैं। इसलिए ज्यादातर ताजिये मोमिनपारा से ही निकलते हैं। इस बार भी यहाँ 35 से ज्यादा ताजिये बनाये गए हैं। पर प्रशासन की अनुमति के बिना न ताजिये निकलेंगे ना ही जुलूस।

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