Trending

सोमवार को भगवान शिव को जरूर चढ़ाएं जल, जलाभिषेक करने के बाद लें व्रत का संकल्प

Shiv Bhagwan: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार का दिन महादेव और चंद्र ग्रह को समर्पित है। इस दिन कुंवारी कन्याएं को मनचाहे जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत करना चाहिए। इस दिन सफेद रंग का कपड़ा पहनना और इसी रंग की चीजों का दान करना विशेष फलदायी है। बता दें कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा-अर्चना होती है। हफ्ते के सातों दिन अलग-अलग देवी-देवताओं के व्रत और पूजा का विधान है। इसके साथ ही हर ग्रह का भी अलग दिन होता है। हर देवी-देवता के पूजा का विधान अलग होता है।

यह भी पढ़ें:-  SBI यूजर्स के लिए अच्छी खबर, बैंक ने मुफ्त की ये सेवा, अब नहीं देने पड़ेंगे ये चार्ज

शास्त्रों के अनुसार मुताबिक को भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन व्रत करने से भगवान शिव (Shiv Bhagwan) और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं। सोमवार का व्रत बेहद ही सरल होता है, लेकिन इस व्रत को करने के कुछ नियम हैं। उन नियमों का पालन करना आवश्यक है। कई बार सोमवार के व्रत और पूजन में कुछ गलतियां हो जाती है और कहा जाता है कि इन गलतियों की वजह से व्रत का फल नहीं मिल पाता।

सोमवार व्रत के नियम

सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र ग्रहण करें। अगर संभव हो तो मंदिर में जाकर​ शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना (Shiv Bhagwan) करें और व्रत की कथा जरूर सुनें। हिंदू शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत में तीन पहर में एक बार ही भेजना करना चाहिए। व्रत में फलाहार लिया जा सकता है।

शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा ओम जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

पूजा में न करें ये ग​लतियां

सोमवार का व्रत तीन प्रकार का होता है। इसमें साधारण प्रति सोमवार, सोम्य प्रदोष और सोलह सोमवार शामिल हैं। तीनों ही व्रत का विधि-विधान और पूजा के नियम एक समान ही हैं। इनमें एक बार भोजन करना चाहिए। सोमवार के भगवान शिव की पूजा की जाती है और इस दिन व्रत करने से भगवान खुश होकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। लेकिन शिवजी की पूजा में भूलकर भी ऐसी गलती न करें। शिवजी की पूजा (Shiv Bhagwan) में दूध का जलाभिषेक किया जाता है। ध्यान रखें गलती से भी तांबे से लौटे में दूध न डालें। तांबे के बर्तन में दूध डालने से दूध संक्रमित होता हो जाता है और चढ़ाने योग्य नहीं रहता।

इन बातों का भी रखें ध्यान

शिवलिंग पर दूध, दही, शहद या कोई भी वस्तु चढ़ाने के बाद जल जरूर चढ़ाएं तभी जलाभिषेक पूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर कभी भी रोली और सिंदूर की तिलक नहीं करना चाहिए। शिवलिंग पर हमेशा चंदन का ही तिलक करें। भगवान शिव के मंदिर में परिक्रमा (Shiv Bhagwan) करते वक्त ध्यान रखें कि कभी भी पूरी परिक्रमा न लगाएं। जहां से दूध बहता है वहां रूक जाएं और वापस घूम जाएं।

Related Articles

Back to top button