कामकाजी महिलाओं को चाइल्ड केयर लीव न देना संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

Child Care Leaves Row : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चाइल्ड केयर लीव (Child Care Leaves Row) पर बड़ी टिप्पणी की. सीजेआई ने कहा कि विकलांग बच्चे की देखभाल करने वाली मां को चाइल्ड केयर लीव देने से इनकार करना, महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के राज्य के संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन होगा. इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है.

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने बच्चों वाली कामकाजी महिलाओं को चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) देने के मुद्दे पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया.

CCL पर नीति संशोधित करे राज्य सरकार- SC
न्यायालय ने राज्य सरकार को सीसीएल पर नीति को संशोधित करने का निर्देश दिया ताकि इसे दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप बनाया जा सके. इसने कहा कि समिति में मुख्य सचिव के अलावा राज्य के महिला व बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के सचिव होंगे और उसे 31 जुलाई तक सीसीएल के मुद्दे पर निर्णय लेना होगा.

सीसीएल पर पुनर्विचार करने का निर्देश
आखिरकार, याचिका नीति के क्षेत्रों पर जोर देती है और राज्य की नीति के क्षेत्रों को संवैधानिक सुरक्षा उपायों के साथ समकालिक होना चाहिए. हम हिमाचल प्रदेश राज्य को उन माताओं के लिए आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के अनुरूप सीसीएल पर पुनर्विचार करने का निर्देश देते हैं जो बच्चों की माताओं का पालन-पोषण कर रही हैं.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 29 अक्टूबर, 2021 को याचिका पर राज्य सरकार और उच्च शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी किया था. बाद में, इसने विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के तहत आयुक्त से भी प्रतिक्रिया मांगी. (Child Care Leaves Row)

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