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Rahul Rescue: 104 घंटे बाद राहुल को बोरवेल के गड्ढे से निकाला गया बाहर, 10 जून को गिरा था बच्चा

Rahul Rescue: जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के गड्ढे में फंसे हुए राहुल साहू को 104 घंटे के रेस्क्यू के बाद बाहर निकाल लिया गया है। जांजगीर कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने कहा है कि टीम ने 60 फीट नीचे फंसे राहुल को टनल के जरिए बाहर निकाल लिया है। कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने बताया कि राहुल की स्थिति ठीक है। कलेक्टर ने बताया कि राहुल जिस जगह पर था वहां पर एक सांप और मेंढक भी था, जिस बात को उन्होंने सबसे छिपाया था, जो वे राहुल के सफल रेस्क्यू के बाद उजागर कर रहे हैं।

बता दें कि राहुल को एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया जाएगा। उसके गांव से बिलासपुर की दूरी करीब 112 किलोमीटर है। इस दूरी को तय करने में करीब तीन घंटे लगते, लेकिन प्रशासन ने इस रास्ते को ग्रीन कॉरीडोर में बदल दिया है, लिहाजा माना जा रहा है कि राहुल को डेढ़-पौने दो घंटे के समय में अपोलो अस्पताल पहुंचा दिया जाएगा। उसका इलाज रास्ते में एंबुलेंस में ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम करने लगेगी। (Rahul Rescue)

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सेना की ओर से बताया गया कि NDRF जवानों को आराम देने के लिए जवानों ने कमान संभाली थी। यह एक ज्वाइंट ऑपरेशन है और इसमें ऐसा ही किया जाता है। सवाल यहां बच्चे की जिंदगी का था, ऐसे में चट्‌टान तोड़ने के लिए सख्त रुख नहीं अपना सकते थे। राहुल की लोकेशन का अंदाजा लगाकर अब चट्टान तोड़ने के बाद सेना के जवान हाथों से मिट्टी निकाल रहे थे और कोहनी के सहारे आगे बढ़ रहे थे। धीरे-धीरे मिट्टी हटाते-हटाते आखिरकार वह क्षण आ ही गया जब बनाई गई टनल बोरवेल से मिल गई। वहां पहली बार अंदर चट्टान के हिस्से पर सोए राहुल की पहली झलक सेना के जवानों को मिली। वहां से बाहर जानकारी दी गई और बाहर जमा भीड़ भारतमाता की जय के नारे लगाने लगी।

इससे पहले उसके मूवमेंट का एक नया वीडियो अभी सामने आया था। इसमें राहुल सिर उठाता हुआ और रिस्पॉन्स देता दिखाई दे रहा था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से भी ट्वीट कर कहा गया था कि सबकी दुआएं मासूम राहुल के साथ हैं। अभी इशारों में राहुल ने कुछ खाने की मांग की थी। रेस्क्यू अभियान जारी है। चट्टानों से भी मजबूत इस मासूम बालक के साहस को सलाम है। कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि वह एक बहुत बड़ी सी चट्‌टान है। उसी पर राहुल बैठा हुआ है। हम उसी चट‌्टान को साइड से काटने का प्रयास कर रहे थे। वहीं राहुल तक पहुंचने के लिए टनल बनाने के  में लगे NDRF के कमांड इन चीफ वर्धमान मिश्रा चोटिल हो गए हैं। डॉक्टर ने मौके पर उनका इलाज किया और वे फिर से काम में लग गए थे। इससे पहले जवानों ने वायब्रेटर का इस्तेमाल किया था। (Rahul Rescue)

Rahul Rescue

वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि मामला संवेदनशील है। इसलिए रेस्क्यू टीम सावधानी से आगे बढ़ रही है। चट्टानों का मुकाबला हम अपने फौलादी इरादों से कर रहे हैं। दूसरी ओर प्रशासन ने आसपास के 200 मीटर एरिया को खाली कराकर बैरिकेडिंग कर दी है। अब वहां पर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। NDRF की टीम ने देर रात टनल बनाने का काम पूरा कर लिया था। सोमवार की देर रात कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया था कि राहुल शाम से बेहतर हालत में है। उसकी सांसें भी ठीक चल रही हैं। बच्चे की जान को खतरा नहीं है। (Rahul Rescue)

राहुल को अस्पताल तक ले जाने की पूरी तैयारी हो गई है। राहुल को बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर लेकर जाएंगे, जहां अपोलो अस्पताल में उसे भर्ती किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहुल को रेस्क्यू के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ले जाने का काम पूरा हो गया है। अब बस उसके बाहर आने का इंतजार है। इसे लेकर मेडिकल टीम को अलर्ट कर दिया गया है। बोरवेल में गिरे राहुल के पिता की गांव में ही दुकान है।

10 जून को बोरवेल में गिरा था बच्चा

राहुल साहू का शुक्रवार दोपहर 2 बजे के बाद से कुछ पता नहीं चला। जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्‌ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्‌ढा 80 फीट गहरा है। ये भी बताया गया है कि बच्चा मूक-बधिर है, मानसिक रूप से काफी कमजोर है, जिसके कारण वह स्कूल भी नहीं जाता था। घर पर ही रहता था। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है। उसका छोटा भाई 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है। राहुल की रेस्क्यू के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किया गया था, जिसका ही फल है कि राहुल सुरक्षित बाहर निकल पाया है।

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