राजिम था चौथा धाम, छत्तीसगढ़ में मनाये जाने वाला मकर संक्रांति उत्सव का जाने पूरा इतिहास!
Rajim Dham : मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 : ज्ञात ऐतिहासिक श्रोतों के अनुसार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी “राजिम धाम” (Rajim Dham) लगभग 800 वर्षों तक चौथा धाम था। 9 वीं सदी में राष्ट्रकूट राजा गोविंदा के सेनापति रक्तबाहु ने ओडिशा के पुरी पर आक्रमण कर नगर को ध्वस्त कर दिया था। तब से 18 वीं सदी के पूर्वार्ध तक 17 बड़े आक्रमणों से पुरी अशांत था। ईसवी सन 1751 में मराठा सेनापति भास्कर पंत के पुरी में आधिपत्य उपरांत शांति स्थापना के साथ पुनर्निर्माण हुआ।
रिचर्ड जेन्किन्स की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ राज्य में ईस्ट-इंडिया कंपनी के अधीक्षक रिचर्ड जेन्किन्स ने राजिम की यात्रा कर सन 1825 में इतिहास और पुरातत्व का दस्तावेजीकरण कर एशियाटिक रिसर्चेस जर्नल के जिल्द 15 में प्रकाशित किया था। रिचर्ड जेन्किन्स की रिपोर्ट “Account of Anciant Hindu Remains in Chhattisgarh” के पृष्ठ 503 में वर्णित विवरण अनुसार बिंद्रानवागढ़ के पंडित जुड़ावन सुकुल ने भविष्योत्तर पुराण का अनुवाद किया है। इसमें लिखा है- ” त्रेता युग में श्रीरामचंद्र के राज्याभिषेक उपरांत अश्वमेध यज्ञ कर श्यामकर्ण घोड़ा छोड़ा गया। घोड़ा की रक्षा के लिए शत्रुघन को सेना सहित तैनात किया गया। घोड़ा विचरण करते हुए महानदी के तट पर पहुंचा, तब राजा राजूलोचन ने उसे पकड़कर नदी तट पर तपस्यारत कर्दम ऋषि के आश्रम में बांध दिया।
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ऋषि आश्रम में घोड़ा को बंधा देख शत्रुघन की सेना ने आक्रमण कर दिया। सेना के आक्रमण से कर्दम ऋषि का ध्यान टूटा और उसने क्रोधित होकर शत्रुघन को सेना सहित भस्म कर दिया। शत्रुघन के भस्म होने की सूचना पर श्रीराम महानदी तट पर आए, तब राजा राजूलोचन उनके शरणागत हुआ। श्रीराम ने कर्दम ऋषि को प्रसन्न कर शत्रुघन को सेना सहित पुनर्जीवित कराया। अयोध्या वापसी के पूर्व श्रीराम ने राजा राजूलोचन को एक मंदिर का निर्माण कर उनकी प्रतिमा स्थापित करने कहा। श्रीराम के आदेशानुसार राजा ने श्रीराम का मंदिर निर्माण कराया जो राजीवलोचन मंदिर कहलाया। श्रीराम के आदेशानुसार मकर संक्रांति के दिन उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें सभी जाति और वर्ण के लोग बिना किसी भेदभाव के सामूहिक भोज में शामिल होते थे।”
(टीप – भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन महानिदेशक एलेग्जेंडर कनिंघम ने इस विवरण को अपने रिपोर्ट में अप्रमाणिक बताया है)
छत्तीसगढ़ के दुर्लभ ऐतिहासिक स्रोत
सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र ने अपनी पुस्तक ” छत्तीसगढ़ के दुर्लभ ऐतिहासिक स्रोत ” में लिखा है कि एक दिन पुरी के भगवान जगन्नाथ ने राजिम के मुख्य पंडा को स्वप्न में आदेश दिया कि मकर संक्रांति के दिन होने वाले सामूहिक भोज के उत्सव को बंद कर दे क्योंकि श्रद्धालु प्रसादी पाकर यहीं से लौट जाते हैं, जिससे उनकी चार धाम की यात्रा पूर्ण नहीं होती है। तभी से राजिम में मकर संक्रांति के दिन होने वाला सामूहिक भोज का उत्सव बंद है। इस विवरण से स्पष्ट संकेत मिलता है कि स्वप्न में आदेश देने वाली घटना मराठा काल में हुई होगी क्योंकि पुरी में शांति स्थापना उसी काल में हुई थी।
सामाजिक भेद से मुक्त होकर सामूहिक भोज के गौरवशाली परंपरा सैंकड़ों वर्षों तक चलने के कारण राजिम चौथा धाम (Rajim Dham) के रूप में स्थापित हुआ था।
आलेख : प्रोफ़ेसर घनाराम साहू
मो. – 9826113191