सिनेमाघरों को पूरी क्षमता के साथ खोलने का दर्शकों पर कैसा असर हुआ है, ये देखना हो तो नजदीकी सिनेमाघर में ‘इटर्नल्स’ का शो देखकर समझा जा सकता है लेकिन अक्षय कुमार की करीब दो साल बाद सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म ‘सूर्यवंशी’ को लेकर दर्शकों में ऐसा पागलपन देखने को नहीं मिल रहा।
हो सकता है शनिवार और रविवार को ‘सूर्यवंशी’ का कारोबार भी बढ़े लेकिन फिल्म के दिसंबर महीने में ही ओटीटी पर भी रिलीज होने की खबरों ने फिल्म की सिनेमाघऱों में ओपनिंग पर असर डाला है। फिल्म ‘सूर्यवंशी’ को देखने का तमाम दर्शकों का मन तो सिर्फ इसमें अजय देवगन और रणवीर सिंह की मौजूदगी के कारण भी बना लेकिन ये दोनों कलाकार जब तक कहानी में शामिल होते हैं, फिल्म को लेकर पिछले साल मार्च से चल रहे इंतजार की बेकरारी बेअसर हो चुकी होती है।
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फिल्म ‘सूर्यवंशी’ की सबसे कमजोर कड़ी है इसकी कहानी है और इसके संवाद। फिल्म के निर्देशक रोहित शेट्टी ने हालांकि इस फिल्म के आखिर में भी जता दिया है कि वह अपनी तरह की इस अलबेली पुलिस की दुनिया की अगली कड़ी भी बनाने जा रहे हैं लेकिन इस पुलिस का वास्तविक दुनिया से संपर्क पूरी तरह कट चुका है। 1993 में आए हजार किलो आरडीएक्स में से मुंबई ब्लास्ट के बाद बचे आधे से ज्यादा विस्फोटक की तलाश करती इस कहानी में सब कुछ राष्ट्रवादी है।
खांचों से निकले किरदार हैं। किरदारों के मुंबइया फिल्मों के फॉर्मूलों जैसे कॉस्ट्यूम हैं और इसके संवाद मुंबई के दर्शकों को तो भले तालियां बजाने पर मजबूर कर दें लेकिन हिंदा भाषी तमाम प्रदेशों के दर्शक शायद ही इनका अर्थ समझ पाएं।रोहित शेट्टी का सिनेमा अपनी अलग तरह का सिनेमा है। उनकी पुलिस भी उनके कल्पनालोक की पुलिस है। ‘सिंघम’ की पुलिस ‘सिम्बा’ में फिल्मी हुई और अब ‘सूर्यवंशी’ में वह उससे भी आगे निकलती दिख रही है।
फिल्म में अक्षय कुमार ही अक्षय कुमार हैं। कहीं उम्र से कम दिखने की कोशिश करते दिखते तो कहीं जरूरत से ज्यादा एक्टिंग यानी ओवरएक्टिंग करते दिखते। अक्षय कुमार से ज्यादा लोग ये फिल्म रोहित शेट्टी के नाम से देखने पहुंचे और रोहित ने इसमें हर मसाला डालने की कोशिश भी पूरी की है। एक बिंदास बीवी है। एक मासूम बच्चा है। ड्यूटी और परिवार का आमना सामना है। यही नहीं रोहित के खलनायक भी पक्के विलेन नहीं है। उनके भी परिवार हैं। उनके भी सुख दुख हैं। लेकिन, फॉर्मूला फिल्मों के विलेन सिर्फ विलेन होते हैं, और उन्हें इमोशनल इंसान दिखाने की कोशिश कम से कम ऐसी फिल्म के साथ तालमेल नहीं बिठा पाती।
कथा, पटकथा और संवाद की कमजोरियों के अलावा फिल्म में अजय देवगन और रणवीर सिंह की लंबे समय तक न दिखने की कमी काफी खली। तीनों अगर शुरू से साथ होते तो फिल्म का आनंद ही कुछ और होता। फिल्म पर नजर रखने वालों को तो ये पता है कि इसमें अजय और रणवीर का स्पेशल अपीयरेंस है, लेकिन दर्शकों में से अधिकतर यही सोचकर आए कि ये मल्टीस्टारर फिल्म है। और, यही बात फिल्म के खिलाफ जा रही है।
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कटरीना कैफ को जहां जैसा दिखना था, उन्होंने वहां वैसा करके दिखा तो दिया लेकिन एक खास बात यहां ये नोट करने लायक है कि वह अपने अभिनय पर काफी मेहनत कर रही हैं। अक्षय कुमार जरूर वीर सूर्यवंशी जैसे नहीं दिखते। वह हर फ्रेम में सिर्फ अक्षय कुमार ही दिखते रहे। ‘सिंघम’ और ‘सिम्बा’ की तरह ‘सूर्यवंशी’ का किरदार भी रंग में होता तो फिल्म ‘सूर्यवंशी’ वाकई बॉक्स ऑफिस का दिवाली धमाका होती।
रोहित शेट्टी की फिल्म कहानी और एक्शन के बूते पर चलती है। फिल्म ‘सूर्यवंशी’ में कहानी भले लड़खड़ाई हो पर एक्शन फुलटू रोहित शेट्टी स्टाइल है। फिल्म की असली यूएसपी भी यही है। ‘टिप टिप बरसा पानी’ के अलावा एक्शन ही है फिल्म ‘सूर्यवंशी’ में जो दर्शकों को आखिर तक रोककर रखता है। फिल्म ने ओटीटी और सैटेलाइट अधिकार बेचकर अपना खाता मुनाफे में पहले ही तब्दील कर लिया है। बस, बॉक्स ऑफिस पर पहले सप्ताहांत की ओपनिंग से अक्षय कुमार के ब्रांड वैल्यू कितनी और बढ़ेगी या घटेगी इसका फैसला होना बाकी है।