Maharashtra Political Crisis: स्पीकर का फ़ैसला- शिंदे गुट ही असली शिवसेना होगी

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में शिवसेना के दो गुट उद्धव और शिंदे की सियासी लड़ाई को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को अंतिम रूप दिया। राहुल नार्वेकर ने अहम फैसला देते हुए शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया। स्पीकर ने बहुमत को आधार बताया है। कहा कि 55 में से 37 विधायक शिंदे गुट के साथ थे और शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव को नहीं था और वो शिंदे को नेता पद से नहीं हटा सकते।

उधर, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के बाद यूबीटी सेना नेता ने कहा कि यह नैतिकता से समझौता है। सेना बनाम सेना मामले में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि वह इस फैसले से बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हैं। (Maharashtra Political Crisis)

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इस मामले में फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि उन्होंने अपने फैसले का आधार चुनाव आयोग के फैसले को बनाया है। शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के दो गुटों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है।

नेतृत्व संरचना पर दोनों पार्टियों के विचार अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। (Maharashtra Political Crisis)

उद्धव ठाकरे बोले, सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे

उद्धव ठाकरे ने कहा कि, “हम सुप्रीम कोर्ट से अपील करेंगे कि इस मामले को चुनाव से पहले निपटाया जाए। हम एक बार फिर कहना चाहते ह कि शिवसेना भी खत्म नहीं होगी। लोग एकनाथ शिंदे की सेना को स्वीकार नहीं करेंगे।” उन्होंने कहा कि यह फैसला पहले से तय था और फैसला सुनाने से पहले विधानसभा अध्यक्ष की मुख्यमंत्री से मुलाकात से यह स्पष्ट हो गया था। उन्होंने आगे कहा कि स्पीकर द्वारा भरत गोगावले को शिवसेना का वैध सचेतक (व्हिप) के रूप में मान्यता देना सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान है। उन्होंने कहा, “आखिर पार्टी के संविधान पर फैसला देने वाले स्पीकर होते कौन होते हैं? अगर शिंदे को लगता है कि उसने परिवार का शासन खत्म कर दिया है तो मान लीजिए कि उनकी गुलामी के दिन शुरु हो गए हैं।”

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