हमारे पूर्वजों ने हमें गौरवशाली विरासत दी है: राज्यपाल हरिचंदन

Chhattisgarh Raj Bhavan: छत्तीसगढ़ के राजभवन में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन की उपस्थिति में मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश का स्थापना दिवस रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने इस अवसर पर कहा कि हमारे पूर्वजों के अथक मेहनत और दृढ़ संकल्प ने हमें गौरवशाली विरासत दी है, जिस पर हमें गर्व करना चाहिए। केंद्र सरकार के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्य एक दूसरे का स्थापना दिवस मनाते हैं। इसी कड़ी में राजभवन में मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश का स्थापना दिवस हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। राज्यपाल ने स्थापना दिवस के अवसर पर इन राज्यों के लोगों को बधाई दी।

यह भी पढ़ें:- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश और प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर पदक जीतना गौरवान्वित करने वाला: CM साय

राज्यपाल हरिचंदन ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पहल है, जिसका उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले विविध संस्कृतियों के लोगों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देना है। ऐसे कार्यक्रम विभिन्न राज्यों के लोगों को अपनी भाषाओं, संस्कृतियों, परंपराओं और प्रथाओं को साझा करने का अवसर प्रदान करते हैं, जिससे भारत की एकता और अखंडता मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर मिजोरम की शांत घाटी तक, दोनों राज्यों में समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविध भाषाएं और जटिल परंपराएं हैं। अरुणाचल प्रदेश अपनी प्राचीन संस्कृति के लिए जाना जाता है। इस राज्य का उल्लेख भारत के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों जैसे कालिका पुराण और महाभारत में किया गया है। (Chhattisgarh Raj Bhavan)

उन्होंने कहा कि ऋषि परशुराम ने यहीं पर अपने पापों का प्रायश्चित किया था, ऋषि व्यास ने इस क्षेत्र के जंगलों में तपस्या की थी और भगवान कृष्ण ने भारत के इस पौराणिक स्थल पर रुक्मिणी से विवाह किया था। तिब्बत भूटान और म्यांमर देशों की सीमाओं को छूती हुई इस प्रदेश की संस्कृति अद्वितीय है। राज्यपाल ने कहा कि जब वे मिजोरम राज्य के बारे में सोचते है, तो उन्हें पहाड़ी इलाके, घुमावदार नदियां, वनस्पतियां, अंतहीन विविध परिदृश्य और समृद्ध जीव-जंतुओं की कल्पना होती है। मिजोरम की जीवंत संस्कृति, अद्भुत कलाएँ और लोक कलाएँ इसकी समृद्ध विरासत का प्रतीक हैं। यह प्रदेश शिक्षा दर में देश में तीसरा स्थान रखता है। मिजो जनजाति की पारंपरिक रूप से पोषित मान्यताएं, विभिन्न सामाजिक-धार्मिक प्रथाएं उन्हें एक विशिष्ट पहचान देती हैं। (Chhattisgarh Raj Bhavan)

राज्यपाल ने कहा कि तेजी से आधुनिक होती दुनिया में, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी परंपराओं को संजोएं और सतत विकास के लिए प्रयास करें और इन राज्यों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। कार्यक्रम को मिजोरम राज्य की प्रतिनिधि डॉ. प्रीति मिश्रा और अरूणाचल प्रदेश की प्रतिनिधि सु हेगे बी. यासीन ने भी संबोधित किया। उन्होंने अपने-अपने राज्यों की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी और लोगों से आग्रह किया कि पर्यटन की दृष्टि से इन राज्यों में अवश्य भ्रमण करें। (Chhattisgarh Raj Bhavan)

कार्यक्रम की शुरुआत में मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कम्भापति और अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी. परनाइक ने वीडियो संदेश के माध्यम से राज्य स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर इन राज्यों से संबंधी लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश के लोक नृत्यों और जनजातीय संस्कृति से ओत-प्रोत नृत्यों का प्रदर्शन विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने किया। इन राज्यों के प्रतिनिधियों को राज्यपाल ने राजकीय गमछा पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने भी राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम में राज्यपाल के सचिव यशवंत कुमार, विधिक सलाहकार राजेश वास्तव, संबंधित राज्यों के प्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। (Chhattisgarh Raj Bhavan)

Related Articles

Back to top button