New CJI Of India: देश के अगले CJI होंगे जस्टिस यूयू ललित, कई अहम केसों में सुनाया फैसला

New CJI Of India: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के 49वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होंगे। CJI एनवी रमना ने कानून मंत्री किरन रिजिजू को उनके नाम की सिफारिश की है। CJI रमना 26 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस ललित 27 अगस्त को CJI के रूप में शपथ ले सकते हैं। CJI रमना ने गुरुवार सुबह को पर्सनली जस्टिस ललित को सिफारिश के अपने पत्र की एक कॉपी सौंपी। कानून मंत्री किरन रिजिजू ने बुधवार को CJI एनवी रमना को चिट्‌ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने NV रमना से उनके उत्तराधिकारी का नाम बताने की अपील की। परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है। (New CJI Of India)

यह भी पढ़ें:- CJI statement: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने की छत्तीसगढ़ की तारीफ, कहा- विधिक शिक्षा के विकास में निभा रहा सक्रिय भूमिका

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस ललित सिर्फ 74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे, क्योंकि 8 नवंबर को वे रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस ललित ने जून 1983 में एक एडवोकेट के रूप में नामांकन किया। उन्होंने दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की फिर जनवरी 1986 में प्रैक्टिस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया। उन्हें अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट के रूप में नॉमिनेट किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सुनवाई करने के लिए उन्हें CBI के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया लीगल सर्विसेज कमेटी के सदस्य भी थे। (New CJI Of India)

यह भी पढ़ें:- HNLU Dikshannt Samaroh: दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर दृष्टिहीन छात्रा बनी हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की टॉपर

बता दें कि जस्टिस ललित ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। अगर वे अगले CJI नियुक्त होते हैं तो वह ऐसे दूसरे CJI होंगे, जिन्हें 2014 में बार से सीधे SC की पीठ में प्रमोट किया गया। उनसे पहले जस्टिस एस. एम. सीकरी मार्च 1964 में SC की पीठ में सीधे प्रमोट होने वाले पहले वकील थे। वह जनवरी 1971 में 13वें CJI बने थे। सौम्य स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाले ललित ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाईकोर्ट के जज नहीं थे, बल्कि सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे थे। वहीं 30 अप्रैल 2021 को जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजद्रोह के मामले में लगने वाली IPC की धारा 124A की वैधता पर केंद्र को नोटिस जारी किया। इस मामले में कोर्ट ने मणिपुर के पत्रकार किशोरचन्द्र वांगखेमचा और छत्तीसगढ़ के पत्रकार कन्हैयालाल शुक्ला की याचिका सुनने पर सहमति दी। (New CJI Of India)

यह भी पढ़ें:- Kayakalp Puraskar: कोंडागांव के 13 और जांजगीर-चांपा के 6 स्वास्थ्य केंद्रों को मिला पुरस्कार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने की घोषणा

हाल ही में जस्टिस ललित ने अवमानना के मामले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 4 महीने की सजा दी है। कोर्ट ने माल्या पर 2 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। यह भी कहा कि जुर्माना न चुकाने पर 2 महीने की अतिरिक्त जेल काटनी होगी। बच्चों को यौन शोषण से बचाने पर भी जस्टिस ललित ने अहम आदेश दिया। उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने माना कि सेक्सुअल मंशा से शरीर के सेक्सुअल हिस्से का स्पर्श पॉक्सो एक्ट का मामला है। यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे का स्पर्श यौन शोषण नहीं है। जस्टिस ललित उस बेंच में भी रहे जिसने 2019 में आम्रपाली के करीब 42,000 फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत दी थी। तब कोर्ट ने आदेश दिया था कि आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को अब नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन यानी NBCC पूरा करेगा। (New CJI Of India)

इन मामलों में सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले आम्रपाली ग्रुप की सभी बिल्डिंग कंपनियों का RERA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। साथ ही, निवेशकों के पैसे के गबन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का भी आदेश दिया। अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी न करने का आदेश भी जस्टिस ललित की सदस्यता वाली बेंच ने दिया था। कोर्ट ने इस एक्ट के तहत आने वाली शिकायतों पर शुरुआती जांच के बाद ही मामला दर्ज करने का भी आदेश दिया था। हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने कानून में बदलाव कर तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान को दोबारा बहाल कर दिया था। 10 जनवरी 2019 को जस्टिस यूयू ललित ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से अलग किया था। उन्होंने इस बात को आधार बनाया था कि करीब 2 दशक पहले वह अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए वकील के रूप में पेश हो चुके हैं। हालांकि अब तक उनके नाम पर मुहर नहीं लग पाई है।

Related Articles

Back to top button