Shukrawar Maa Santoshi Vrat: शुक्रवार को मां संतोषी के व्रत के समय इन बातों का रखें खास ध्यान, जानिए पूजा विधि

Shukrawar Maa Santoshi Vrat: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हफ्ते का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी माता संतोषी की सच्चे दिल से पूजा करता है उसे सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी माता संतोषी का व्रत करते हैं तो भूलकर भी खटाई न खाएं। वैसे तो शु्क्रवार का व्रत तीन तरह से किया जाता है। इस दिन शुक्रदेव के साथ ही संतोषी माता और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इन तीनों ही व्रतों को करने की विधि अलग-अलग होती है।

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अगर आप मां संतोषी (Shukrawar Maa Santoshi Vrat) के भक्त हैं और उनकी कृपा चाहते हैं तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठोर नियमों का पालन करना जरूरी होता है। अगर व्रत रखने के दौरान कोई गलती होती है तो संतोषी मां नाराज होकर भक्तों से कृपादृष्टि हटा लेती हैं। इससे जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी मां संतोषी का व्रत रखना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

माता संतोषी के व्रत की विधि

अगर आपने शुक्रवार के दिन संतोषी माता (Shukrawar Maa Santoshi Vrat) का व्रत रखा है तो सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें और उसके बाद स्वच्छ पानी से स्नान करें। घर के अंदर स्थित पूजा घर या फिर किसी साफ और पवित्र स्थान पर संतोषी माता की मुर्ति या उनकी तस्वीर स्थापित करें। एक बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें और अपने पास संपूर्ण पूजन सामग्री को जुटा लें। अब जल में भरे पात्र के ऊपर एक अन्य पात्र में गुड़ और चने को भरकर रख दें।

पूरे विधि-विधान से करें पूजा

व्रत के दौरान पूरे विधि-विधान से संतोषी माता (Shukrawar Maa Santoshi Vrat) की पूजा करें। पूजा संपन्न होने के बाद संतोषी माता व्रत कथा का पाठ करें। इसके बाद आरती कर सभी लोगों को गुड़ और चने के प्रसाद का वितरण करें। आखिर में घर के सभी स्थानों पर बड़े पात्र में भले जल का छिड़काव कर दें और बाकी बचे जल को तुलसी के पौधे में डाल दें। इसी तरह नियमित रुप से 16 शुक्रवार का व्रत करें। आखिरी शुक्रवार को इस व्रत का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के बाद संतोषी माता का पूजन कर 8 बालकों को खीर पुड़ी का भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा और केले का प्रसाद दें।

व्रत के दौरान नहीं करना चाहिए ये काम

व्रत के दौरान खट्टी चीज को न ही छूना चाहिए और न ही उसे खाना चाहिए। व्रती को गुड़ और चने का प्रसाद बांटने के साथ ही खुद भी खाना चाहिए। भोजन के बाद किसी भी तरह की खट्टी चीज, अचार या कोई भी खट्टा फल नहीं खाना चाहिए। जिस भी व्यक्ति ने व्रत रखा है उसके परिवार के भी किसी अन्य सदस्य को शुक्रवार के दिन खट्टी चीज नहीं खाना चाहिए।

संतोषी मां की आरती

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता,
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो,
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे,
मंद हँसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे,
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो,
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही,
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई,
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै,
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए,
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो,
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे,
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

जय संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे,
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे,
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।।

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