जीवन की अंतिम सांस तक सीखते रहना ही सफलता का मूल मंत्र: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
Shah in Chhattisgarh Assembly: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सीखने की ना कोई उम्र होती है और ना इसके लिए कभी समय खत्म होता है और जीवन के अंत तक सीखते रहना ही सफलता का मूल मंत्र होता है। उन्होंने कहा कि विधायक के रूप में चुनकर आने वाले लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि वे एक परंपरा के वाहक हैं। शाह ने कहा कि आजादी के 75 सालों में पूरे देश और सभी दलों ने मिलकर लोकतंत्र की जड़ों को गहरा कर पूरी दुनिया को ये संदेश दिया कि हम एक सफल लोकतंत्र हैं। हमने त्रिस्तरीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को ना सिर्फ सफलता के साथ आत्मसात किया है, बल्कि इसके सुफल भी जनता तक पहुंचाए हैं।
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केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे देश में विधायक पर तीन प्रकार के दायित्व होते हैं- क्षेत्र, पार्टी की विचारधारा और पूरे राज्य की प्रगति के प्रति दायित्व। शाह ने कहा कि इन तीनों क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए आयोजनपूर्वक समय और शक्तियों का आवंटन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विधायक का ये भी दायित्व है कि पार्टी की नीतियों, कार्यपद्धति और उद्देश्यों की परिपूर्ति के लिए भी काम करे। उन्होंने कहा कि प्रभावी बनने के लिए सब जनप्रतिनिधियों के अंदर जनता और क्षेत्र के प्रति संवेदना और सार्वजनिक दायित्व का निर्वहन करने के लिए तत्परता, कुशलता और उत्सुकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें सदैव प्रसन्न रहते हुए लोकसंपर्क, लोकसंग्रह, विधायी दायित्वों का निर्वहन और पार्टी की नीतियों और उद्देश्यों को ज़मीन पर उतारना चाहिए। (Shah in Chhattisgarh Assembly)
आज छत्तीसगढ़ विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्यों के ‘प्रबोधन कार्यक्रम’ में विधायकों के साथ चर्चा की। एक जनप्रतिनिधि सदन में अपने पूरे क्षेत्र का प्रतीक होने के साथ-साथ जनता और सरकार के बीच की कड़ी होता है।
मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्य सदन में… pic.twitter.com/QEuBntpaih
— Amit Shah (@AmitShah) January 21, 2024
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि हमें प्रशासन को समझकर और लिखकर देने की आदत विकसित करनी चाहिए, इससे काम जल्दी होगा। उन्होंने कहा कि हमें अधिकारियों के साथ काम करने की अपनी कार्यपद्धति को इवॉल्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि जब समर्थ औऱ जवाबदेह होता है तभी उसके क्षेत्र में अच्छा प्रशासन उसका समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि समस्याओं के निराकरण के लिए कई रास्ते होते हैं और इनमें सबसे उचित रास्ता नियमों के अनुसार कंक्रीट पत्र लिखकर प्रशासन को देना और जिम्मेदारी तय करना होता है। सार्थक रूप से समस्या को समझकर लिखा गया पत्र किसी भी आंदोलन से ज्यादा कारगर होता है और इससे आंदोलन का अधिकार समाप्त नहीं होता है। (Shah in Chhattisgarh Assembly)
कानून की भाषा और प्रक्रिया को समझ कर ही एक अच्छे विधायक बन सकते हैं। pic.twitter.com/AsqSvXaG8v
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शाह ने कहा कि जनता की समस्याओं के निराकरण और उसमें हमारे दायित्वों के निर्वहन के लिए सबसे पहले समस्या को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारा मूल काम समस्या पर समग्रता के साथ विचार कर समाधान देना है, प्रसिद्धि लेना नहीं है और जनप्रतिनिधियों को जनहित की योजनाओं का वॉचडॉग भी बनना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का एक विधायी दायित्व भी होता है। उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग विधेयक, उसके परिणाम और उद्देश्यों का अध्य्यन करते हैं। उन्होंने कहा कि विधायकों का ये दायित्व है कि वे किसी भी विधेयक और बजट को एक जागरूक विधायक के नाते समझें। शाह ने कहा कि विधायक, सरकार, विपक्ष और जनता के बीच की कड़ी होता है। उन्होंने कहा कि विपक्षी विधायकों को भी सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए परिश्रम करना चाहिए और अपनी पार्टी का तंत्र भी बनाना चाहिए। (Shah in Chhattisgarh Assembly)
जीवन की अंतिम सांस तक सीखते रहना ही सफलता का मूल मंत्र है। pic.twitter.com/1xQAQRd4if
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अमित शाह ने कहा कि जब तक विधायक कानून की भाषा और प्रक्रिया का अध्ययन नहीं करेंगे तब तक अच्छे विधायक नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि विधायकों को लेजिस्लेटिव प्रक्रिया को बहुत अच्छे तरीके से समझना चाहिए और इसके नियमों के अनुसार अपनी भाषा, व्यवहार और विधानसभा सचिवालय के साथ लिखा पढ़ी करनी चाहिए। शाह ने कहा कि विधायकों को कुछ अच्छे बिल प्राइवेट मेंबर के नाते लाने चाहिएं, जो शायद एक या दो दशक के बाद कानून बन पाएंगे। उन्होंने कहा कि जब आप अपने विचार रखेंगे तो कभी ना कभी वो एक अच्छे कानून का रूप लेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अगर क्षेत्र, प्रदेश और देश की राजनीति में आना है तो संपर्क, संवाद और परिश्रम ही काम आ सकते हैं और ये तीनों ही आपको जनसेवक से जननायक बना सकते हैं। (Shah in Chhattisgarh Assembly)
संपर्क, संवाद और परिश्रम ही जनसेवक को जननायक बनाता है। pic.twitter.com/jmoY3otevO
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उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पार्टी आपको टिकट दे सकती है, लेकिन जनता का मेंडेट तभी मिलेगा जब आपका जनता से संवाद होगा और क्षेत्र के लिए परिश्रम किया होगा। उन्होंने कहा कि समस्याओं के साथ संवाद की व्यवस्था आपके कार्यालय के माध्यम से होती है और छोटी-छोटी योजनाओं के इंप्लीमेंटेशन का काम भी कार्यालय ही करता है। इसके लिए कार्यालय की रचना इतनी वैज्ञानिक और आधुनिक रूप से हो कि हमारे क्षेत्र के हर गांव की छोटी से छोटी घटना की जानकारी हम तक पहुंचे। शाह ने कहा कि शिक्षक, महिलाएं, युवा, साहित्यकार, पत्रकार और वंचित हितग्राही भी ओपिनियन मेकर होते हैं। उन्होंने कहा कि समाज के अलग-अलग वर्गों के साथ जनसंवाद और संपर्क से पूरे क्षेत्र का ब्यौरा भी आपको मिल जाता है और समस्याओं की जानकारी भी मिलती है। (Shah in Chhattisgarh Assembly)
षष्ठम् विधान सभा के नव-निर्वाचित सदस्यों हेतु प्रबोधन कार्यक्रम https://t.co/YT5vAZMGtw
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उन्होंने कहा कि जनता हमारे लिए क्या सोचती है ये हमारे कार्यकर्ता हमें नहीं बता सकते, ये सिर्फ जनता ही बता सकती है और इसके लिए हमें जनसंपर्क की कला भी सीखनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि हमें लेजिस्लेटिव प्रक्रिया के साथ इन्वॉल्व होना चाहिए और पार्टी की नीतियों को विधानसभा के नियमों के माध्यम से फ्लोर पर लाने की कुशलता भी होनी चाहिए। शाह ने कहा कि कभी भी चुनाव परिणाम देखकर अपने मत क्षेत्र में विकास नहीं करना चाहिए, इससे बड़ा पाप और राजनीतिक नुकसान कभी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी बूथ से वोट नहीं मिले और इसके लिए स्टेपमदरली एटीट्यूड नहीं रखना चाहिए। शाह ने कहा कि जब हम चुनाव लड़ते हैं तब एक पार्टी के प्रत्याशी होते हैं और जब चुनाव जीते हैं तो पूरे क्षेत्र के विधायक बनते हैं और पूरे क्षेत्र की समस्या हमारी होती है। (Shah in Chhattisgarh Assembly)