छत्तीसगढ़ : माँ को घर से निकाला, वृद्धाश्रम में मिला सहारा, मौत होने पर अंतिम दर्शन करने भी नहीं आया कलियुगी सन्तान

बलौदाबाजार : कलजुगी बेटा और बेटी सूचना मिलने के बावजूद आखिरकार अंतिम समय तक नहीं आये। जिस बेटे के लिए माँ व्रत रखती है, मन्नतें मांगती है, रात रात भर जग कर सेवा-जतन करती है। पाई -पाई जोड़ कर आशियाना बनाती है । बेटा घर द्वार बेच कर निकल जाता है, पलट कर नही देखता।

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जिला मुख्यालय बलौदाबाजार के वृद्धाश्रम में विगत 3 साल से रह रही 72 बरस की सुखबति मेश्राम के स्वास्थ्य में अचानक आई खराबी के कारण उसे यहां जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुँह से खून निकलने के कारण जांच में पता चला कि किडनी खराब हो गई है। काफी इलाज़ के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। अंत में 19 दिसम्बर की रात 10 बजे उनका निधन हो गया।

वाटिका वृद्धाश्रम जो की समाजसेवी संस्था तुलसी लोक विकास संस्थान द्वारा संचालित है। इसकी व्यवस्थापक संध्या ने बताया कि सुखबति मेश्राम पति कन्हैयालाल मेश्राम निवासी बलौदाबाजार जो कभी एक निजी अस्पताल में दाई का काम करती थी को किसी केशरवानी परिवार ने लावारिस हालात में पाए जाने पर वृद्धाश्रम में लाया। 3 साल तक वे स्वस्थ रहीं। अचानक 16 दिसम्बर को तबीयत बिगड़ी और 19 दिसम्बर को निधन हो गया।

उन्होंने बताया कि स्थानीय चंदादेवी अस्पताल के संजय पाण्डेय ने एम्बुलेंस भेज कर मदद की और मोक्षधाम के बबलू साहू तथा संस्था के सुखमनी साहू, भारत साहू, अजय साहू ने सुखबति का अंतिम संस्कार किया। नियत दिन में उनकी अस्थि संग्रहित कर मोक्षधाम के बबलू साहू को गंगा में अस्थि विसर्जन करवाने दे दी गई।

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संध्या ने इन लोगों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके बेटे निगम मेश्राम से चर्चा करके सूचना भी दी गई थी। फिर भी वह अपनी मां को देखने और अंतिम संस्कार में नही पहुँचा। इसके बाद वृद्धाश्रम और मोक्षधाम प्रबन्धन ने कुछ सेवाभावी लोगों के साथ मिलकर अंतिम संस्कार किया। उनके इस पुण्य पहल की नगर में काफी सराहना हो रही है।

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