मणिपुर में फिर हिंसक झड़प, 20 महिलाएं घायल, पढ़ें पूरी खबर
Manipur Bishnupur Violence: मणिपुर में 3 मई से हिंसा लगातार जारी है, जिसे 3 अगस्त को तीन महीने पूरे हो गए। इस बीच बिष्णुपुर जिले में सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई। स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े, जिसमें 20 महिलाएं घायल हो गईं। दरअसल, सुबह करीब 11 बजे बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन को पार करने का प्रयास किया। असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस पर महिलाओं ने सुरक्षाबलों पर पथराव कर दिया। इस दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े। झड़प के बाद इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली गई है।
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बता दें कि मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। कई लोगों के शव इंफाल और चुराचांदपुर के अस्पतालों की मॉर्च्युरी में रखे हैं। गुरुवार को चुराचांदपुर के लम्का शहर के तुईबोंग शांति मैदान में कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को दफनाया गया। इधर, इंफाल में अपुम्बा तेन्बांग लुप, पात्सोई विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने 26 दिन बाद 2 किशोरों का पता नहीं लगा पाने के विरोध में प्रदर्शन किया। 3 मई को हिंसा फैलने के बाद से राज्य में दो पत्रकारों और दो किशोरों समेत 27 लोग लापता हैं। (Manipur Bishnupur Violence)
🚨Another amazing performance from parasitic #kukis cheerleading team@Spearcorps loves it😍
🚨Assam rifles works under the instructions of kuki women: CONFIRMED#Manipur #ManipurViolence #ManipurHorror pic.twitter.com/k0bCfTG2QK— The Great Awakening Kangleipak (@TheKangleipak07) August 3, 2023
3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था, जिसके बाद वहां जातीय संघर्ष भड़क उठा। तब से लेकर अब तक वहां 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मणिपुर मामले पर 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि हमारे लिए समय खत्म होता जा रहा है। राज्य में हालात सुधारने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मसलों के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा। हम नहीं चाहते कि मणिपुर पुलिस ऐसे मामले संभाले। बता दें कि मणिपुर में हिंसा की आग 3 महीने बाद भी शांत नहीं हुई है। (Manipur Bishnupur Violence)