Uprastrapati Chunav 2022: भारत को आज मिलेगा 14वां उपराष्ट्रपति, जानिए किसका पलड़ा भारी

Uprastrapati Chunav 2022: भारत में आज 14वें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो रहा हैं, जिसके नतीजे शाम तक घोषित कर दिए जाएंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के उम्मीदवार पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ हैं। वहीं विपक्ष ने कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया है। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है। संसद भवन में मतदान सुबह 10 बजे से शुरू हो चुका है, जो शाम 5 बजे तक होगा। इसके तुरंत बाद मतों की गिनती की जाएगी और देर शाम तक निर्वाचन अधिकारी द्वारा देश के नए उपराष्ट्रपति के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। नए उपराष्ट्रपति 11 अगस्त को शपथ लेंगे। चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से हो रहा है और चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा हो रहा है। इस प्रणाली में निर्वाचक को उम्मीदवारों के नामों के सामने वरीयताएं अंकित करनी होती हैं। इस चुनाव में खुले मतदान की कोई अवधारणा नहीं है और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनाव में किसी भी परिस्थिति में किसी को भी मतपत्र दिखाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

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बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल होते हैं। इसमें मनोनीत सदस्य भी मतदान करने के पात्र होते हैं। संसद में सदस्यों की मौजूदा संख्या 788 है। वहीं जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता होती है। लोकसभा में BJP के कुल 303 हैं। सांसद संजय धोत्रे का तबीयत ठीक ना होने के चलते वे नहीं आ पाएंगे। इस तरह NDA के लोकसभा में कुल 336 सदस्य हैं। वहीं राज्यसभा में BJP के 91 सदस्य हैं, जिसमें 4 नॉमिनेटेड सदस्य भी शामिल है। इस तरह NDA के कुल 109 सदस्य हैं। ऐसे में अब NDA के पास दोनों सदनों में कुल 445 सदस्य हैं। NDA के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को YSRCP, BSP, TDP, BJD, अन्नाद्रमुक, शिवसेना के विरोधी पक्ष का समर्थन मिल चुका है। (Uprastrapati Chunav 2022)

जगदीप धनखड़ का पलड़ा भारी

निर्वाचक मंडल अंकगणित के मुताबिक धनखड़ के पक्ष में दो-तिहाई वोट हैं। आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो धनखड़ की जीत सुनिश्चित लग रही है। जगदीप धनखड़ को 515 के करीब मत मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। वहीं अल्वा को अब तक मिले पार्टियों के समर्थन को देखते हुए अनुमान जताया जा रहा है कि उन्हें 200 के करीब मत मिल सकते हैं। विपक्षी दलों में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर मतभेद भी सामने आए हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने अल्वा के नाम की घोषणा से पहले सहमति नहीं बनाने की कोशिशों का हवाला देते हुए मतदान प्रक्रिया से दूर रहने की घोषणा की है। जगदीप धनखड़ 71 साल के हैं और वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है। उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। (Uprastrapati Chunav 2022)

इन लोगों ने विपक्ष के उम्मीदवार को दिया समर्थन

अगर धनखड़ उपराष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो ये एक इत्तेफाक ही होगा कि लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य के होंगे। वर्तमान में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। इधर, मार्गरेट अल्वा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और वह राजस्थान के राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुकी हैं। तेलंगाना राष्ट्र समिति, आम आदमी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अल्वा के समर्थन की घोषणा की है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने भी अल्वा का समर्थन किया है। इसके बाद भी जगदीप धनखड़ का पलड़ा भारी लग रहा है।  (Uprastrapati Chunav 2022)

देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद

बता दें कि भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच साल की अवधि का होता है, लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पद पर बने रह सकते हैं। संविधान इस बात पर मौन है कि भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले जब उनका पद रिक्त हो जाता है या जब उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तब उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन कौन करता है। संविधान में एकमात्र उपबंध राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति के ऐसे कृत्य से संबंधित है जिसका निर्वहन ऐसी रिक्ति की अवधि के दौरान, राज्य सभा के उप सभापति द्वारा या भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राधिकृत किए गए राज्य सभा के किसी अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद का त्याग भारत के राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र देकर किया जा सकता है। त्याग पत्र उस तारीख से प्रभावी हो जाता है, जिससे उसे स्वीकार किया जाता है।

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