न्यूज़ डेस्क
अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने भारत के खिलाफ अपना पहला बड़ा कदम उठाया है। तालिबान का असली चेहरा सामने आ गया है। अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण बनाने के साथ ही भारत के साथ व्यापार रोक दिया है। तालिबान ने भारत के साथ आयात और निर्यात दोनों बंद कर दिए हैं। अब न तो काबुल को कुछ निर्यात किया जा सकता है और न ही वहां से किसी चीज का आयात संभव है।
बता दें कि अशरफ गनी सरकार के कार्यकाल में भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते काफी मधुर हो गए थे। नई दिल्ली ने अफगान में कई विकास परियोजनाओं को आकार दिया था, लेकिन अब पहले जैसे रिश्ते रहने की उम्मीद बेहद कम है।
भारत और अफगानिस्तान के बीच इन चीजों का द्विपक्षीय व्यापार
एफआईईओ डीजी ने कहा, भारत फिलहाल अफगानिस्तान को चीनी, दवाइयां, कपड़े, चाय, कॉफी, मसाले और ट्रांसमिशन टावर की सप्लाई करता है, जबकि वहां से आने वाला अधिकतर आयात ड्राईफ्रूट्स का ही है। हम थोड़ा प्याज और गोंद भी वहां से आयात करते हैं। इसके अलावा ड्राईफ्रूट्स आदि भी भारत में अफगानिस्तान से लाये जाते हैं।
तालिबान ने कार्गो मूवमेंट रोका
फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के डॉ. अजय सहाय ने आयात-निर्यात पर तालिबानी बैन की पुष्टि की है। डॉ. सहाय ने कहा कि तालिबान ने इस वक्त सभी कार्गो मूवमेंट को रोक दिया है। हमारा माल अक्सर पाकिस्तान के रास्ते ही सप्लाई होता था, जिस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। उन्होंने आगे कहा, ‘अफगानिस्तान की स्थिति पर हमारी नजर बनी हुई है, ताकि हम सप्लाई को शुरू कर सकें। लेकिन मौजूदा वक्त में तालिबान ने एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट रोक दिया है।
व्यवसाय के मामले में भारत अफगानिस्तान का सबसे बड़ा पार्टनर रहा है। साल 2021 में ही हमारा एक्सपोर्ट 835 मिलियन डॉलर था, जबकि इम्पोर्ट 510 मिलियन डॉलर का रहा। आयात -निर्यात के अलावा भारत द्वारा अफगानिस्तान में बड़े स्तर पर निवेश भी किया गया है, जिसमें करीब 400 योजनाओं में 3 बिलियन डॉलर का निवेश शामिल है।
भारत में 85 प्रतिशत ड्राईफ्रूट अफगानिस्तान से
भारत चीनी, चाय, कॉफी, मसाला सहित अन्य वस्तुएं निर्यात करता है, जबकि बड़े स्तर पर ड्राई फ्रूट्स, प्याज वगैरह आयात किए जाते हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि अफगान संकट के चलते आने वाले दिनों मे ड्राई फ्रूट्स के दाम बढ़ सकते हैं। क्योंकि भारत करीब 85 फीसदी ड्राई फ्रूट्स अफगानिस्तान से आयात करता है। इससे पहले, तालिबान ने ऐलान किया था कि वह भारत से अच्छे संबंध चाहता है, साथ ही भारत यहां पर जारी अपने सभी काम और निवेश को बिना किसी दिक्कत के पूरा कर सकता है।