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UPSC Exam पास कर खुश थी लड़की, सच्चाई कुछ और ही थी; सच खुला तो झेलनी पड़ी शर्मिंदगी

UPSC Exam: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा के नतीजों में एक जैसे नाम की वजह से झारखंड के रामगढ़ जिले की रहने वाली दिव्या पांडेय (Divya Pandey) गलतफहमी की शिकार हो गई। जिसके कारण अब छात्रा और उसके परिजनों को काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। पहली बार में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा पास (UPSC Exam) करने का दावा करने वाली दिव्या पांडे के परिवार ने गलत जानकारी देने के लिये शुक्रवार को जिला प्रशासन और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) से माफी मांगी है। क्योंकि नतीजों की खबर वायरल होने के बाद दोनों ने उसे सम्मानित किया था।

कहते हैं सुनी हुई बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जब तक उसे खुद देखा ना हो। लेकिन कई बार लोग ऐसी गलती करते हैं और फिर शर्मिंदा होते हैं। दरअसल, हाल ही में घोषित हुए यूपीएससी सिविल सेवा के नतीजों में जिले के चित्तरपुर ब्लॉक स्थित रजरप्पा कॉलोनी की रहने वाली दिव्या पांडेय (Divya Pandey) की ऑल इंडिया 323वीं रैंक आने का दावा किया गया था। हालांकि, अब उनके परिवार की ओर से कहा गया है कि दिव्या पांडेय नहीं बल्कि दक्षिण भारत की रहने वाली किसी दिव्या पी ने परीक्षा पास की है, जिसे अपनी बेटी समझ कर वे जश्न मना रहे थे।

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‘अनजाने में हुई गलती’
दिव्या पांडे (Divya Pandey) के परिवार ने मीडिया से भी माफी मांगी और कहा कि यह ‘अनजाने में हुई गलती’ है। दिव्या पांडे की ओर से माफी मांगते हुए उनके परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों ने कहा कि वास्तव में दक्षिण भारत की दिव्या पी परीक्षा में सफल हुई थीं। 

दोस्त ने फोन कर दी थी जानकारी
दिव्या पांडे (Divya Pandey) की बड़ी बहन प्रियदर्शनी पांडे ने कहा कि उनकी बहन को उत्तर प्रदेश में रहने वाली उनकी दोस्त ने सूचित किया था कि उन्होंने यूपीएससी में 323वीं रैंक हासिल की है। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की वेबसाइट पर रिजल्ट देखने की कोशिश की। लेकिन इंटरनेट काम नहीं कर रहा था, जिस कारण उन्होंने खुद से रिजल्ट नहीं देखा और उसकी बात पर भरोसा कर घोषणा कर दी। ये एक अनजाने में हुई गलती थी। 

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक पीएम प्रसाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बिना किसी कोचिंग के स्मार्ट फोन और इंटरनेट की मदद से पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) पास करने के परिवार के दावों के बाद दिव्या पांडे के पिता को सम्मानित किया, जो सीसीएल के सेवानिवृत क्रेन ऑपरेटर हैं। 

बता दें कि दिव्या, जिन्होंने 2017 में रांची विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था, ने दावा किया था: ” मैंने रोजाना लगभग 18 घंटे पढ़ाई की और एनसीईआरटी की बहुत सारी किताबें पढ़ीं, जिस कारण मुझे पहले अटेंप्ट में सफालता हासिल हुई।” फिलहाल रामगढ़ के अधिकारियों ने इस संबंध में लड़की या उसके परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। पुलिस का कहना है कि ये मानवीय भूल है।

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