Modi Surname Case : राहुल गांधी को सुप्रीम राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक

Modi Surname Case : मोदी सरनेम मामले मे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जा रही है. मिल रही जानकारी के अनुसार अभी तक हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले दिलचस्प बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि हाईकोर्ट का फैसला बेहद दिलचस्प है. इस फैसले में ये बताया गया है कि आखिर एक सांसद को कैसे बर्ताव करना चाहिए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. जबकि दूसरे पक्ष की तरफ से महेश जेठमलानी ने अपनी दलील रखी।

यह भी पढ़े :- चारधाम यात्रा के बीच बड़ा हादसा, भूस्खलन में कई लोग दबे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

राहुल गांधी की (Modi Surname Case ) याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि कितना समय लेंगे. हमने पूरा केस पढ़ा है हम 15-15 मिनट की बहस कर सकते हैं. जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आपको सजा पर रोक चाहिए तो असाधारण मामला बनाना होगा.

इसपर राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील अभिषक मुन सिंघवी ने पक्ष रखा. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि जो सजा दी गई है वो बहुत कठोर है. मौजूदा समय में आपराधिक मानहानि न्यायशास्त्र उल्टा हो गया है. मोदी समुदाय अनाकार, अपरिभाषित समुदाय है.उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के पास मानहानि का दावा करने का कोई अधिकार नहीं था. ऐसा मामला नहीं है कि कोई व्यक्ति व्यक्तियों के समूह की ओर से शिकायत दर्ज नहीं कर सकता है. लेकिन व्यक्तियों का वह संग्रह एक ‘अच्छी तरह से परिभाषित समूह’ होना चाहिए जो निश्चित और दृढ़ हो और समुदाय के बाकी हिस्सों से अलग किया जा सके. इस तर्क का समर्थन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कई उदाहरण हैं. मोदी कई समुदायों में फैले हुए हैं.

केवल भाजपा के पदाधिकारी ही मुकदमा दायर कर रहे हैं

सिंघवी ने आगे कहा कि मोदी सरनेम और अन्य से संबंधित प्रत्येक मामला भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा दायर किया गया है. यह एक सुनियोजित राजनीतिक अभियान है. इसके पीछे एक प्रेरित पैटर्न दिखाता है. राहुल गांधी इन सभी मामलों में केवल आरोपी हैं, दोषी नहीं है, जैसा कि हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया है. दिलचस्प बात यह है कि 13 करोड़ की आबाद वाले इस ‘छोटे’ समुदाय में जो भी लोग पीड़ित हैं, उनमें से केवल भाजपा के पदाधिकारी ही मुकदमा दायर कर रहे हैं. क्या ये बहुत अजीब नहीं है. उस 13 करोड़ की आबादी में न कोई एकरूपता है, न पहचान की एकरूपता है, न कोई सीमा रेखा है. दूसरा कि यह एक पूर्णेश मोदी ने स्वंय कहा कि उनका मूल सरनेम मोदी नहीं था.

लोकतंत्र में हमारे पास असहमति का अधिकार है

सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी आरोप किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है. जब तक कि यह किसी व्यक्ति की नैतिक या बैद्धिक प्रतिष्ठा कम नहीं करता. ये कोई अपहरण, रेप या हत्या का मामला नहीं है. शायद ही पहले कभी ऐसे मामले में किसी को दो साल की सजा दी गई हो. इस सजा की आड़ उन्हें आठ साल तक चुप कर दिया जाएगा. सिंघवी की इस दलील पर जस्टिस गवई ने कहा कि यहां तक कि हाईकोर्ट जज ने भी नैतिक अधमता के बारे में टिप्पणी की ? इसपर सिंघवी ने कहा कि लोकतंत्र में हमारे पास असहमति का अधिकार है. जिसे हमें ‘शालीन भाषा’ भी कहते हैं. फिर जस्टिस गवई ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आपराधिक इतिहास की बात की है. Modi Surname Case

Related Articles

Back to top button