
Three Language Policy: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच संसद में भी इसे लेकर जमकर हंगामा हुआ। बता दें कि इस फॉर्मूले ने तमिलनाडु सरकार और मोदी सरकार के बीच राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। कांग्रेस सासंद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि तमिलनाडु बहुत स्पष्ट है। हम दो भाषाओं तमिल और अंग्रेजी से बहुत लाभान्वित होते हैं। अंग्रेजी हमें वाणिज्य और विज्ञान की दुनिया से जोड़ती है और तमिल हमारी संस्कृति और पहचान को संरक्षित करती है, अगर कोई तीसरी भाषा सीखना चाहता है, चाहे वह तीसरी भाषा कुछ भी हो। वे अपने हिसाब से सीखेंगे। इसे अनिवार्य बनाने का कोई कारण नहीं है।
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वहीं BJD सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि शिक्षा एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। इस पर इतना हंगामा मचाने के बजाय, सबसे अच्छा है कि शिक्षा मंत्रालय और उन राज्यों के बीच परामर्श और बातचीत हो, जिन्हें इससे दिक्कत है। कुछ राज्यों में तीन भाषा नीति को लेकर समस्या है, उनके राजनीतिक प्रतिनिधियों और सरकार को एक साथ आने और कोई समाधान तलाशने की जरूरत है। अगर कोई गलतफहमी है, तो उसे दूर किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि कांग्रेस जब पहली बार सत्ता में आई थी, तब बहुत पहले ही हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन इसके बावजूद यह (NEP) कहा गया है कि आप अपनी मूल भाषा में भी काम कर सकते हैं, लेकिन हिंदी को भी कुछ प्रमुखता दें, बस इतना ही कहा गया है। (Three Language Policy)
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने साधा निशाना
उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत रुचि का मामला है कि कौन किस भाषा में पढ़ेगा और काम करेगा। NEP बहुत स्पष्ट है, इसे विवाद बनाना ठीक नहीं है। भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि DMK जनाधार खोता जा रहा है। NEP में कोई भी ऐसा चीज नहीं दी गई है, जिसमें क्षेत्रीय भाषा का कहीं भी महत्व कम हो रहा हो बल्कि इससे क्षेत्रीय भाषा का विस्तार हो रहा है। क्षेत्रीय भाषा को और लोग अंगीकार करें, ये प्रयत्न हो रहा है। राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने संसद में NEP के तहत 3-भाषा नीति को लेकर हो रहे हंगामे पर कहा कि मेरा हमेशा से मानना रहा है कि कोई भी व्यक्ति कई भाषाएं सीख सकता है और मैं खुद 7-8 भाषाएं जानती हूं। मुझे हमेशा सीखने में मजा आता है और बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं। (Three Language Policy)