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Shani Jayanti 30 May: शनि जयंती पर इस विधि से करें पूजा-पाठ, शनिदेव होंगे प्रसन्न, जानिये शनिदेव क्यों रहते हैं पिता सूर्यदेव से नाराज

Shani Jayanti 30 May 2022: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है और इस बार यह शुभ तिथि आज 30 मई, सोमवार को है। भगवान शनि देव को न्यायप्रिय और कर्मों के फलदाता देव के लिए माना जाता हैं। भगवान शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के मुताबिक फल देते हैं। शनिदेव को न्यायप्रिय, कर्म फलदाता माना जाता है। शनिदेव जब किसी से नाराज हो जाते हैं तो उसे कठोर दंड देते है। जिस व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा होती है वह उसे रंक से राजा बना देते हैं। शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए शनि जयंती (Shani Jayanti) का बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए उपायों व पूजा-पाठ से शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए आज आपको कुछ उपाय बताते हैं, जिससे शनिदेव प्रसन्न हो जाएंगे और आपको मनचाहा फल देंगे।

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शनिदेव व्रत और पूजा विधि

भगवान शनिदेव का नाम आते ही कुछ लोग भयभीत हो जाते हैं। लोगों का मानना है कि शनिदेव क्रोधी स्वाभाव के हैं और अशुभ फल प्रदान करते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्यायदेवता माना गया है। शनि सेवा व कर्म के कारक है। कहते हैं कि शनिदेव हर जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं। शनि की महादशा का सामना कर रहे व्यक्तियों को शनिदेव का व्रत रखना चाहिए, क्योंकि अगर कर्मों के फलदाता आपके पूजा से खुश हैं, तो आपके जीवन से दुखों का अंत हो जाएगा। शनि देव को काली वस्तुएं बहुत पसंद है। इसलिए काले तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द की पूजा में में उपयोग जरूर करना चाहिए। इसके बाद पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए। लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराना और मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें। इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल से पूजा करें।

व्रत में पूजा के बाद शनि देव की कथा का श्रवण

भगवान शनिदेव जयंती (Shani Jayanti) व्रत में पूजा के बाद शनि देव की कथा का श्रवण करें और दिनभर उनका स्मरण करते रहें। पूजा के बाद अपनी क्षमतानुसार, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और लौह वस्तु, धन का दान करें। इस दिन व्यक्ति को एक ही बार भोजन करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन चीटियों को आटा डालना फलदायी माना गया है। इस तरह शनि देव का व्रत रखने से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है और हर विपत्ति को दूर किया जा सकता है।

शनिदेव क्यों रहते हैं पिता सूर्यदेव से नाराज

शनिदेव के काले रंग को देखकर सूर्यदेव ने पत्नी छाया पर संदेह किया और उन्हें अपमानित करते हुए कह दिया कि यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता। मां के तप की शक्ति शनिदेव में भी आ गई थी और उन्होंने क्रोधित होकर अपने पिता सूर्यदेव की ओर देखा तो सूर्यदेव बिल्कुल काले हो गए, उनके घोड़ों की चाल रूक गई। परेशान होकर सूर्यदेव को भगवान शंकर की शरण लेनी पड़ी। इसके बाद भगवान शिव ने सूर्यदेव को उनकी गलती का अहसास कराया। सूर्यदेव ने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। जिसके बाद फिर से उन्हें असली रूप वापस मिला। लेकिन पिता पुत्र का संबंध जो एक बार खराब हुआ वह आज तक नहीं सुधरा। शनिदेव को अपने पिता सूर्य का विद्रोही माना जाता है।

शनि देव का बीज मंत्र

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
वहीं शनिदेव की कृपा पाने के लिए आप उनके सामान्य मंत्र का भी उच्चारण कर सकते हैं। इसका उच्चारण करने से आपको जल्द ही लाभ मिलेगा और शनिदेव आपसे प्रसन्न हो जाएंगे।

शनिदेव का सामान्य मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः।

शनि दोष के निवारण के लिए यह मंत्र है, आज शनि जयंती पर आपको इसका जाप अवश्य करना चाहिए :-
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

भगवान शनि देवजी की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥जय।।

(यहां पर दी गई समस्त जानकारी जन सामान्य में प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, Anmol News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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