PM मोदी ने 2 नई रोपवे परियोजनाओं की रखी आधारशिला, कहा- सीमा पर बसा हर गांव, देश का पहला गांव
PM Modi In Badrinath: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ने वाली दो नई रोपवे परियोजनाओं सहित 3400 करोड़ रुपये से अधिक की कनेक्टिविटी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि माणा गांव भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है। सीमा पर बसे सभी साथी देश के सशक्त प्रहरी है।
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उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ने वाली दो नई रोपवे परियोजनाओं सहित 3400 करोड़ रुपये से अधिक की कनेक्टिविटी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। https://t.co/RUzjLAQB9B pic.twitter.com/iqCOqlVinh
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं पहला अपनी विरासत पर गर्व और दूसरा विकास के लिए हर संभव प्रयास। आज उत्तराखंड इन दोनों ही स्तंभों को मजबूत कर रहा है। आज मुझे दो रोपवे परियोजना के शिलान्यास का सौभाग्य मिला। इससे केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के दर्शन करना और आसान हो जाएगा। इसका निर्माण न केवल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए है, बल्कि यह राज्य में आर्थिक विकास को गति देगा। (PM Modi In Badrinath)
देशवासियों से मेरी एक प्रार्थना… pic.twitter.com/gV2t3f6Bvw
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2022
PM ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मैंने लाल किले पर एक आह्वान किया, ये आह्वान हैं गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का क्योंकि आजादी के इतने सालों बाद भी हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। लंबे समय तक हमारे यहां अपने आस्था स्थलों के विकास को लेकर एक नफरत का भाव रहा है। विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे, लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था। (PM Modi In Badrinath)
Kedarnath and Badrinath are significant to our ethos and traditions. https://t.co/68IErTo24N
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2022
प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या में इतना भव्य राममंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां कालिका के मंदिर से लेकर विंध्याचल देवी के कॉरिडोर तक, भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है। पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया। (PM Modi In Badrinath)
Earlier today, I went to the Sri Adi Shankaracharya Samadhi. I also had the opportunity to interact with the Shramjeevis working on the restoration work in Kedarnath. pic.twitter.com/82pMFfM1Jb
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2022
पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी, हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया। हिमालय की हरी भरी पहाड़ियों पर रेल गाड़ी की आवाज उत्तराखंड के विकास की नई गाथा लिखेगी। देहरादून एयरपोर्ट भी अब नए अवतार में सेवा दे रहा है। भारतमाला के तहत देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को बेहतरीन और चौड़े हाइवे से जोड़ा जा रहा है। सागरमाला से अपने सागर तटों की कनेक्टिविटी को सशक्त किया जा रहा है। (PM Modi In Badrinath)
भूवैण्ठकृतावासं, देवदेवं जगत्पतिम्।
चतुर्वर्गप्रदातारं, श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।
Prayed at Badrinath. pic.twitter.com/g8Y39w5K0a
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2022
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केदारनाथ और बद्री नाथ के दर्शन किए। केदारनाथ में वे गर्भगृह में करीब 20 मिनट तक पूजा करते रहे। उन्होंने विशेष परिधान पहन रखा था, जो उन्हें हिमाचल की महिलाओं ने गिफ्ट किया था। इसे चोला-डोरा कहते हैं। पोशाक पर स्वास्तिक बना था। केदारनाथ में करीब 2 घंटे रुके और फिर बद्रीनाथ में करीब 30 मिनट। इसके बाद उन्होंने भारत-चीन सीमा पर पड़ने वाले आखिरी गांव माणा का दौरा किया। PM बनने के बाद नरेंद्र मोदी की यह छठी केदरनाथ यात्रा है। पहली बार वे 3 मई 2017 को केदारनाथ धाम गए थे। इसके बाद 19 अक्टूबर 2017 में PM मोदी ने केदारनाथ धाम में दर्शन और पूजा की, साथ ही कई निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया।
7 नवंबर 2018 को दिवाली के मौके पर PM मोदी केदारनाथ धाम दर्शन के लिए पहुंचे थे। साल 2019 में लोकसभा चुनाव का प्रचार खत्म होने के बाद PM ने केदारनाथ की एक गुफा में ध्यान लगाया था। 5 नवंबर 2021 में PM ने केदारनाथ में कई विकास परियोजनाओं की उद्घाटन और शिलान्यास किया था। वहीं उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन भी किए। 12 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा 28 टन वजनी है। इसे मैसूर से चुने गए ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है।