CM साय ने कोरवा आदिवासियों से पूछा जाने का किराया रखे हो ?…फिर अपनी जेब से निकाल कर दिया यात्रा खर्च

CM Sai Gentle Nature: ‘वैष्णव जन तो तेने रे कहिए जे पीड़ पराई जाणे रे‘- बापू के इस प्रिय भजन में जिस वैष्णव भाव का ज़िक्र है, वो लोकधर्म की नींव है। इससे सुखद और क्या होगा कि जनता लोकतंत्र में जिन्हें अपना प्रतिनिधि चुने वे अपने पास आए पिछड़े से पिछड़े व्यक्ति के साथ इस लोकधर्म का पालन करे। लोगों के दुख दर्द को समझने का ऐसा ही वैष्णव भाव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के अंदर भी है, जो उनसे मिलने वालों के दिलों को छू जाता है। इसी की बानगी एक बार फिर दिखाई दी, जब मुख्यमंत्री साय ने जशपुर के दूरस्थ ग्राम- बटईकेला से आए कोरवा आदिवासियों के उन भावों को भी समझ लिया जो संकोचवश वे व्यक्त करने से कतरा रहे थे।

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मुख्यमंत्री ने पहुना पहुंचे कोरवा आदिवासियों से बड़ी आत्मीयता से पूछा- जाने का किराया रखे हो ? और फिर अपनी जेब से निकाल कर उन्हें यात्रा खर्च दिया। साथ ही कहा कि आज रात यहीं रुको, कल खाना खाकर ही जाना। दरअसल, कल देर रात जब बस्तर और राजिम के दिन भर के व्यस्त कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री साय पहुना पहुंचे तो उन्हें पता चला कि तीन कोरवा आदिवासी ग्रामीण उनसे मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। रात के तकरीबन सवा बारह बज गए थे, लेकिन ये जानकर कि जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लॉक के कोरवा आदिवासी लम्बी दूरी का सफर कर उनसे मिलने आए हैं, मुख्यमंत्री  साय ने उन्हें अपने कक्ष में बुलवाया। नंगे पांव आए कोरवा बिशुन राम, बालकिशुन राम और अजीर साय मुख्यमंत्री के कक्ष में दाखिल हुए। मुख्यमंत्री ने बड़े ध्यान से उनकी समस्या को सुना और हर सम्भव मदद के लिए आश्वस्त किया। (CM Sai Gentle Nature)

CM साय ने छूआ आदिवासियों का दिल

फिर जो हुआ उसकी कल्पना भी इन ग्रामीणों ने नहीं की थी। मुख्यमंत्री साय ने सबसे पहले उनसे पूछा- खाना खाए हो ? जब उन्होंने बताया कि पहुना में ही उन्हें भोजन कराया गया है तो मुख्यमंत्री ने पूछा कि रायपुर कब आए और किस रूट से आए हो? उन्होंने बताया कि वे बटईकेला से रायगढ़ बस से आए और रायगढ़ से ट्रेन के जनरल बोगी का टिकट लेकर रायपुर आए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बड़ी ही आत्मियता से उनसे पूछा-जाने का किराया रखे हो ? इस प्रश्न के जवाब में ग्रामीण चुप रहे। मगर मुख्यमंत्री साय ने इस खामोशी के पीछे के उन भावों को भी पढ़ लिया, जिसे वे व्यक्त करने से कतरा रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपनी जेब से निकाल कर उन्हें यात्रा खर्च दिया और कहा कि आज रात आप यहीं रुको और कल खाना खाकर ही जाना। मुख्यमंत्री साय की इस सहृदयता ने इन कोरवा आदिवसियों के दिल को छू लिया।

पुराने साथी को पहचान कर स्नेहभाव में कहा-अब तैं बुढ़ा गए हस

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बहुत साल बाद मिल रहे पुराने साथी अजीर साय को पहचान लिया। मुख्यमंत्री ने उन्हें याद दिलाया कि मैं तोर साथ भोपाल गए रहेन। अजीर साय ने बताया कि वे कोरवा आदिवासियों की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से कई साल पहले तब मिले थे जब वे विधायक थे। उस समय मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय उन्हें अपने साथ लेकर भोपाल लेकर गए थे और तत्कालीन सरकार के मंत्रियों से उन्हें मिलवा कर कोरवा आदिवासियों की बात रखी थी। मुख्यमंत्री ने अजीर साय से स्नेहभाव में कहा कि अब तैं बुढ़ा गए हस। इस बात को सुनकर सभी खिलखिला उठे। (CM Sai Gentle Nature)

युवा कोरवा  बिशुनराम और बालकिशुन राम का हौसला बढ़ाया

मुख्यमंत्री साय ने पहुना आये कोरवा आदिवासी युवा बिशुनराम और बालकिशुन राम से उनका हाल चाल जाना और उनकी शिक्षा के बारे में पूछा । किशुन ने बताया कि उन्होंने बीएससी किया है और किशुनराम ने एमएससी। दोनों ने कम्प्यूटर का भी कोर्स किया है।  मुख्यमंत्री साय ने इन आदिवासी युवाओं के जज्बे और योग्यता की सराहना की और उनका हौसला बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना दी। (CM Sai Gentle Nature)

मुख्यमंत्री से मिलने वालों का लगा रहता है तांता

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की खासियत है कि वे हर तबके के व्यक्ति के दुख सुख को बहुत गहनता से समझते हैं। जनप्रतिनिधि के रूप में उनका लम्बा कार्यकाल रहा है। वे सरपंच से लेकर केंद्रीय मंत्री और अब मुख्यमंत्री रहते हुए लोगों की समस्याओं को हर स्तर पर रूबरू हुए हैं। यही कारण है जबसे उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। प्रदेशभर से उनसे मिलकर अपनी समस्या रखने वालों का तांता लगा रहता है। उनसे मिलने वालों को उनका आत्मीय भाव छू जाता है। (CM Sai Gentle Nature)

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