मां से बच्चे को छीनना गंभीर आपराधिक कृत्य: किरणमयी नायक

Chhattisgarh Mahila Aayog Sunwai: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक और सदस्यगण अनीता रावटे, नीता विश्वकर्मा, अर्चना उपाध्याय ने शास्त्री चौक स्थित कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की। इस दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक पति ने दूसरी महिला को पहले अपनी बहन बनाया था। अब उससे शादी कर लिया है। मेरी सास कहती है कि बेटे की खुशी है तो दोनों एक साथ रहे। आवेदिका के तीन बच्चे है। इस साल आवेदिका और अनावेदक दोनों साथ में पूरी फसल को काटे है। अनावेदक आवेदिका को भरण-पोषण नहीं दे रहा है।

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अनावेदक का कहना है कि उसने कोई दूसरी शादी नहीं की है। वह अपनी मां की देखरेख के लिए दूसरी महिला को रखा है। अनावेदक ने यह स्वीकार किया है कि वह आवेदिका और उनके बच्चों को भरण-पोषण नहीं दे रहा है। आयोग की समझाइश के बाद अनावेदक प्रतिमाह पूरा राशन आवेदिका को देगा। बच्चों की पढ़ाई की राशि देगा और प्रतिमाह आवेदिका को 10 हजार रूपए देगा। धान की फसल होती है इसलिए अनावेदक एक साल का पैसा एक साथ देगा। आगामी सुनवाई में अनावेदक, आवेदिका को 10 हजार रूपये देगा। बच्चों के स्कूल की पुरानी फीस भी जमा करेगा और राशन खर्च भी देगा। आगामी सुनवाई में अगर दोनों पक्षकार आयोग के आदेश का पालन करेंगे तो सहमति पत्र भी बनवाया जाएगा। इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है। (Chhattisgarh Mahila Aayog Sunwai)

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने महिला आयोग से समाज प्रमुखों की आड़ में प्रकरण वापस लेने के लिए आवेदिका के ऊपर दबाव डाला है। एक अवैध इकारानामा में हस्ताक्षर कराया है, जिसमें लिखा है कि संतान के 9 साल पूरा होने पर अनावेदक अपने पास रखेगा। यह इकरानामा अपने आप में दबावपूर्ण कराए जाने पर स्वयं शून्य हो जाता है। यह आवेदिका पर बंधककारी नहीं होता है, क्योंकि दबाव में कराया गया हस्ताक्षर कभी मान्य नहीं होता है। इसके साथ ही समाज के डर और दबाव में होने के कारण स्वयं में शून्य हो जाता है। इसको वैद्यानिक सिद्ध करने की जिम्मेदारी अनावेदक पर होगी।

आवेदिका ने इस स्तर पर निवेदन किया है कि वह समाज के उन पदाधिकारियों को नाम लिखकर जमा करें, जिन्होनें ऐसा सहमतिनामा हस्ताक्षर कराया है। जिस बच्चे के गर्भ में रहने के दौरान अनावेदक के द्वारा आवेदिका को प्रताड़ित किया गया था। प्रसव पीड़ा के दौरान अनावेदक ने इलाज कराने के दौरान लापरवाही भी किया था। ऐसा पिता जिम्मेदारी के लायक नहीं है, क्योंकि उसकी लापरवाही से बच्चे की जान भी जा सकती थी। अनावेदक दूसरी शादी करना चाहता है। ऐसी दशा में नाबालिग बच्चे का पालन पोषण उसके द्वारा किया जाना संभव नहीं है। आवेदिका को प्रति माह 15 सौ रूपये का भरण पोषण देकर बच्चे को छीनने की नियत अनावेदक कर रहा है,जिस पर आवेदिका ने यह कहा कि वह अनावेदक से 15 सौ रूपये लेकर बच्चे को देने की शर्त पर राजी नहीं है। (Chhattisgarh Mahila Aayog Sunwai)

वह खुद कामकाज कर पालन पोषण कर सकती है। उसका देखरेख उसके मामा के पैसे से किया जा रहा है। आवेदिका स्वयं अपना और अपने बेटे को पालन पोषण करने के लिए काम करना शुरू करेगी। इस स्तर पर आवेदिका को पूरी तरह सुनिश्चित किया जाता है कि वह इस अवैध सहमतिनामा के बंधन से मुक्त है। मां को उसके बच्चे से छीना जाना गंभीर अपराधिक कृत्य है। इस प्रकरण के निराकरण के लिए आगामी सुनवाई में रखा गया है। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसका विवाह उनके ही समाजिक स्तर पर हुआ है। लेकिन समस्त अनावेदकगणों ने हमारी जाति का नहीं है कहकर आवेदिका और उसके मायके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है।

आवेदिका के पिता से 25 हजार रूपये अर्थदंड लिया है। दूसरी बार जब आवेदिका के भाई की शादी हुई थी उसे 50 हजार रूपये का अर्थदंड लगाया गया था। उसे अनावेदक ने नहीं दिया है। समस्त अनावेदकगणों ने आवेदिका के मायके वाले को दंड किया है। सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। आयोग द्वारा उभय पक्ष को समझाइश दिए जाने पर सभी अनावेदकगणों ने यह स्वीकार किया है कि आवेदिका के परिवार पर सामाजिक नियमों के आधार पर फैसला किया है। सामाजिक बहिष्कार भी किया है। सभी पक्षकार आदिवासी सामाज के है।शिक्षा के दौर में वैधानिक नियमों को जानकर नहीं है इसीलिए आयोग की ओर से समझाइश दिया गया है, जिस पर समाज के सभी सदस्यों ने यह स्वीकार किया कि आवेदिका को गांव में सभी अनावेदकगणों और उनके समाज प्रमुख आवश्यक रूप से गांव के पंचायत भवन मे उपस्थित कराने कहा गया। (Chhattisgarh Mahila Aayog Sunwai)

गांव के सरपंच भी वहां पर आवश्यक रूप से उपस्थित कराने कहा गया है। गांव में मुनादी कर अपने समाज के हर घर से एक व्यक्ति को आवश्यक रूप उपस्थित रखने के निर्देश के साथ गांव के संबंधित थाना क्षेत्र के पुलिस कांस्टेबल को साथ मे लेकर आयोग की सदस्य अनीता रावटे के साथ आयोग से अधिकृत अधिवक्ता और काउंसलर आवेदिका के गांव में जाकर गांव वालों की उपस्थित में इस प्रकरण की जानकारी देंगे। सभी अनावेदकगणों द्वारा सार्वजनिक रूप से गांव वाले के समक्ष आवेदिका और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने की घोषणा करेंगे। उभय पक्षों का हस्ताक्षर लिया जायेगा। अनावेदकगण के द्वारा यदि आयोग की निर्देश की अवमानना करते हैं तो इस स्तर पर आवेदिका समस्त अनावेदकगणों के खिलाफ थाने में FIR दर्ज करा सकती है। (Chhattisgarh Mahila Aayog Sunwai)

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