गरियाबंद में 11 शिक्षकों को तीन-तीन साल की सजा, जानिए क्या है पूरा मामला

Action Against Gariaband Teachers: गरियाबंद व्यवहार न्यायालय ने RTI कार्यकर्ता कृष्ण कुमार की शिकायत पर सुनवाई करते हुए फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे 11 शिक्षाकर्मियों को 3-3 साल की सजा सुनाई है। साल 2008, 2009 में शिक्षाकर्मी चयन के दौरान फर्जीवाड़ा हुआ था। दोषियों ने शिक्षाकर्मी भर्ती के दौरान BED, DED के फर्जी प्रमाण पत्र लगाए थे, जिसकी जांच में शिकायत सही पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है। दरअसल, साल 2008-2009 में मैनपुर जनपद में शिक्षाकर्मी के पद पर कई शिक्षकों की भर्ती हुई, जिनमें से कुछ अभ्यर्थियों पर फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए शिक्षाकर्मी की नौकरी पाने के आरोप लगे, जिसके बाद RTI कार्यकर्ता कृष्ण कुमार ने मैनपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

थाने में दर्ज रिपोर्ट में बताया गया शिक्षाकर्मी चयन के दौरान कुछ शिक्षाकर्मियों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी हासिल कर ली। इन अभ्यर्थियों ने बीएड और डीएड का फर्जी प्रमाण बनवाया और भर्ती परीक्षा में पास होने के बाद इन प्रमाणपत्रों को दिखाया। मामला मैनपुर थाने से गरियाबंद जिला एवं अपर सत्र न्यायालय पहुंचा, कोर्ट ने जांच में शिकायत सही पाई। इस दौरान पूरे मामले में कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी आरोप लगे, जिसके बाद कोर्ट ने 11 शिक्षाकर्मियों को 3-3 साल की कड़ी सजा सुनाई। कोर्ट ने सभी आरोपियों पर 1 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। (Action Against Gariaband Teachers)

सजा पाने वाले शिक्षाकर्मियों में दो महिलाएं भी शामिल है। वहीं अरविंद सिन्हा, संजय शर्मा, शंकर लाल साहू, भेगेश्वरी साहू, देवनारायण साहू, दौलत राम साहू, ममता सिन्हा, हेमलाल यादव, पीतांबर राम साहू, शिवकुमार साहू और योगेंद्र कुमार सिन्हा को कोर्ट ने कठोर कारावास की सजा सुनाने के साथ ही अर्थदंड लगाया है। इन शिक्षकों को नौकरी से पहले ही बर्खास्त कर दिया गया था। मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार देवांगन ने मामले में फैसला सुनाया है। (Action Against Gariaband Teachers)

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