छत्तीसगढ़ : ​​​​​​​पंसारी नाला ने बदल दी सैकड़ों किसानों की किस्मत

किसी ने ट्रेक्टर ख़रीदा तो किसी ने खोल ली किराने की दुकान : 

जल से ही जीवन और समृद्धि है। जीवन और समृद्धि के लिए जल का संरक्षण जरुरी है। यह जानने के बावजूद भी वर्षा जल के संचयन के प्रति उदासीनता और भू जल के बेतहाशा दोहन के चलते कई इलाकों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने स्थानीय संसाधनों को सहेजने की दिशा में आज से तीन साल पहले सुराजी गांव योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी को सहेजने का काम किया जा रहा है। सुराजी गांव योजना के चार घटकों में नरवा एक घटक है। नरवा विकास कार्यक्रम के माध्यम से नालों का उपचार कर इसकी उपयोगिता को प्रभावी बनाए जाने का काम किया जा रहा है। वर्षा जल के संरक्षण के लिए नालों में स्टाप डेम, अर्दन चेक डेम, गली प्लग सहित कई तरह की संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है, ताकि नालों में बारहमासी पानी की उपलब्धता बनी रही। नरवा उपचार कार्यक्रम के तहत कराए गए कार्याें के अब सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं। इससे नालों में जल का संचयन होने के साथ ही भू-जल स्तर में बढ़ोतरी और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ी है, जिसके परिणाम स्वरुप द्विफसली खेती का रकबा बढ़ा है। खेती-किसानी समृद्ध हुई है और किसानों की स्थिति में सुखद बदलाव आया है।

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छत्तीसगढ़ राज्य में बीते तीन सालों में हजारों नालों के उपचार से जल संरक्षण एवं भू-जल संवर्धन के साथ साथ सिंचाई के लिए जल उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। राज्य के सूरजपुर जिला मुख्यालय के समीप स्थित पंसारी नाला एक ऐसा ही नाला है, जिसने सैकड़ों किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने में अहम् रोल अदा किया है। इस नाले में लगभग 40 लाख रूपए की लागत से जल संरक्षण के लिए बनाए गए स्टापडेम, अर्दन चेक डेम सहित अन्य संरचनाओं के कारण अब इस नाले में बारहों महीने जल भराव रहने लगा है। इसका सीधा फायदा नाले के किनारे स्थित खेत वाले लगभग 150 किसानों को मिला है। वर्षा आधारित एक फसली खेती करने वाले ये किसान अब दोहरी फसल उपजाने लगे हैं। किसान अब गेहूं, चना, मटर, सरसों, उड़द की खेती के साथ साथ टमाटर, लौकी, करेला, आलू, तरबूज, खीरा आदि की खेती करके अपनी आमदनी में अच्छा खासा इजाफा किया है।

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 पंसारी नाला का उद्गम स्थल ग्राम पंचायत गणेशपुर है। यह नाला अपने उद्गम स्थल से निकलकर ग्राम पंचायत गोपालपुर-तेलईकछार होते हुए रेण नदी में मिलता है। इस दौरान पंसारी नाला लगभग 07 किलोमीटर राजस्व एवं वन क्षेत्र से गुजरता है। ग्राम पंचायत तेलईकछार में इस नाले का सर्वाधिक हिस्सा आता है। इस नाले के किनारे स्थित खेतों वाले कृषकों में हुकुम साय, रामनारायण, दयाराम, भैयालाल राजवाड़े, सहित कई किसान अब दोहरी और नगदी फसलों की खेती कर लाभ अर्जित करने लगे हैं। कृषक हुकुम साय की अधिकांश कृषि भूमि पंसारी नाले के किनारे है। सिंचाई की सुविधा मिल जाने से अब वह बारहमासी खेती के लिए ट्रेक्टर खरीद लिए हैं। कृषक रामनारायण ने खेती किसानी से हुए लाभ के चलते अब किराने की दुकान खोल ली है। कृषक दयाराम ने साग सब्जी से होने वाले लाभ के चलते मोटरसाइकिल खरीद ली है, जिससे अब बाजार जाकर सब्जी बेचने में सहूलियत और ज्यादा कीमत मिलने लगी है।

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