सुप्रीम कोर्ट पहुंचा छत्तीसगढ़ आरक्षण विवाद, एडमिशन को लेकर मामला साफ नहीं

Chhattisgarh Reservation in SC: छत्तीसगढ़ का आरक्षण विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। प्रदेश के शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण का मामला SC पहुंचा है। दरअसल, राज्य के कॉलेज और युनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन आरक्षण की क्या व्यवस्था होगी इसकी कोई तय गाइडलाइन नहीं हैं। बीते दिनों आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों में भर्ती और प्रमोशन के लिए 58 प्रतिशत की व्यवस्था पर रोक को गलत बताया था। नतीजा ये हुआ कि इसके बाद कई भर्तियां इसी आधार पर की गईं, लेकिन एडमिशन को लेकर मामला साफ नहीं है।

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छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने 9 मई को एक पत्र जारी किया गया है कि प्रवेश के समय आरक्षण की जो भी व्यवस्था होगी। उसके आधार पर एडमिशन दिया जाएगा। इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है, जिसमें मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को 15 जून तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दे। विवाद प्रदेश की हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रवेश की प्रक्रिया से शुरू हुआ। जानकारों के मुताबिक कानून की पढ़ाई कराने वाला संस्थान किस नियम के तहत एडमिशन लेगा ये संस्थान की ओर से स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। (Chhattisgarh Reservation in SC)

याचिकाकर्ता योगेश कुमार ठाकुर ने अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से ये प्रार्थना की है कि राज्य सरकार को इस तरह मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को 15 जून तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दे। हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने 2012 के पहले की स्थिति और उच्च शिक्षा विभाग के पत्र का हवाला देकर एडमिशन करने की बात कही है। हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वहां जुलाई से क्लास शुरू करने की तैयारी है। (Chhattisgarh Reservation in SC)

ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि जब आरक्षण की स्थिति ही स्पष्ट नहीं है, फिर किस आधार पर यह एडमिशन किया जा रहा है। इसे अगर कोर्ट में चुनौती दी जाएगी, उसके बाद की स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार होगा, क्योंकि काउंसिलिंग के लिए छात्रों ने फीस दी और अब एडमिशन फीस लेने की तैयारी चल रही है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितंबर 2022 को अपने फैसले में 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस साल एक मई को अपने फैसले में सिर्फ नौकरियों में भर्ती और प्रमोशन के लिए अंतरिम राहत दी है। (Chhattisgarh Reservation in SC)

राज्य सरकार 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर नौकरियों के लिए विज्ञापन जारी कर रही है। इसके विपरीत शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए फिलहाल आरक्षण की स्थिति शून्य है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा 50 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर प्रोविजनल एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। यूनिवर्सिटी ने बाकायदा ने ऑल इंडिया और छत्तीसगढ़ कोटे की सीटों का आरक्षण के आधार पर आवंटन कर दिया है। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि 50 प्रतिशत आरक्षण की स्थिति में आदिवासी छात्रों को 10 सीटों का नुकसान हो रहा है। वहीं आरक्षण शून्य की स्थिति मानें तो 43 सीटें आरक्षित होने से सामान्य वर्ग के उन छात्रों को नुकसान हो रहा है, जिन्हें ज्यादा नंबर मिले थे। आरक्षण को लेकर विवाद थम नहीं रहे हैं। 

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