Chhattisgarh Special: छत्तीसगढ़ में चिकित्सा सुविधाओं का तेजी से हो रहा विस्तार

Chhattisgarh Special: छत्तीसगढ़ को कभी बीमारू राज्य का दर्जा दिया जाता था। मध्य प्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ लगातार उपेक्षित रहा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे बहुत पहले ही भांप लिया था। इसीलिए जब वो प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने छत्तीसगढ़ को एक नई राह दिखाने के लिए इसे मध्य प्रदेश से अलग करके नया राज्य बनाया। हालांकि उस वक्त कठिनाइयां काफी ज्यादा थीं। राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर थीं। लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता था। राज्य में डाक्टरों की कमी थी। मेडिकल कालेज के नाम पर सिर्फ रायपुर ही था जहां से गिनती के डाक्टर ही पास होकर निकलते थे और वो भी अच्छी सुविधाओं की तलाश में राज्य के बाहर निकल जाते थे।

यह भी पढ़े :- Parliament Winter Session : लोकसभा में फुल फॉर्म में PM मोदी, कांग्रेस पर बोला हमला, कहा – एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी

साल 2003 में छत्तीसगढ़ में एक नयी सुबह की हुई और यहां से छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य सुविधाओं और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू कर दिया। बीते दो दशकों के सफर में आज छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी आगे निकल चुका है। कभी जहां सिर्फ एक मेडिकल कालेज हुआ करता था आज इसी राज्य में 10 शासकीय मेडिकल कालेज हैं। एमबीबीएस की सीटें भी 100 से बढ़कर 1460 हो गयी हैं। शासकीय मेडिकल कालेजों में 291 स्नातकोत्तर की सीटें भी बढ़ी हैं जिससे राज्य को विशेषज्ञ चिकित्सक मिल रहे हैं। राज्य के युवा बेहतर डाक्टर बन सकें इसके लिए नियमों में संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कालेजों में हिंदी में भी पढ़ाई की शुरूआत हो चुकी है। एक वर्ष के दौरान ही छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संविदा पदों पर 126 विशेषज्ञ चिकित्सक, 395 चिकित्सा अधिकारियों, 95 स्टाफ नर्स, 35 एएनएम, 29 लैब टैक्नीशियन, 54 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अलावा 149 अन्य पदों पर नियुक्तियां दी गयी हैं। (Chhattisgarh Special)

पहले जहां मेडिकल कालेजों की स्वशासी सोसायटियों को एक लाख रूपए के उपर के अति आवश्यक खर्च करने के लिए राज्य शासन से अनुमति लेनी होती थी वहीं आज विष्णु के सुशासन में स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इसे बढ़ाकर 2 करोड़ रूपए तक की अनुमति प्रदान कर दी है। अब आवश्यक उपकरण, दवाइयां इत्यादि जीवन रक्षक चीजों के लिए मेडिकल कालेजों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, बल्कि वो खुद ही त्वरित निर्णय लेने में सक्षम हो चुके हैं। स्वशासी सोसायटियों को वित्तीय विकेंद्रीकरण की दिशा में शक्तियां आवंटित की गयी हैं ताकि राज्य की जनता को सही समय पर सही इलाज और सुविधा मिल सके।

राज्य में मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अपने पहले ही बजट में साय सरकार ने राज्य का स्वास्थ्य बजट 5461 करोड़ रूपए से 38.5 फीसदी बढ़ाकर 7563 करोड़ रूपए कर दिया गया है। पर्याप्त बजट होने से स्वास्थ्य सुविधाओं में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 मे जहां मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख में 269 थी जो आज घटकर 137 हो गयी है।

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-3 (2005-06) के अनुसार राज्य में संस्थागत प्रसव सिर्फ 15.3 फीसदी था। आज यह लगभग 70 फीसदी का इजाफे के साथ नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के आंकड़ो के अनुसार 85.7 फीसदी तक पहुंच चुका है। वर्ष 2018 की तुलना में आज बस्तर में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आ गयी है। 108 संजीवनी एंबुलेंस सेवा राज्य के लोगों के लिए वाकई संजीवनी साबित हो रही है। पिछले एक साल में ही डायल 108 पर 9 लाख 73 हजार 681 आपातकालीन फोन काल्स आए और इनमें से 3 लाख 4 हजार 847 मरीज लाभांवित हुए।

छत्तीसगढ़ की शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के माध्यम से राज्य के 77 लाख 20 हजार परिवारों को 5 लाख रूपए तक का निःशुल्क इलाज मिल रहा है जिसे आने वाले समय में 10 लाख रूपए तक किए जाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत विशेष स्थितियों में इलाज के लिए 25 लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। योजना के तहत बीते नौ माह में लगभग 1200 लोगों को 43 करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। राज्य के पहले डिजिटल बजट में सभी संभाग में एम्स की तर्ज पर सिम्स खोलने का निर्णय लिया गया है और इसकी शुरूआत भी बिलासपुर से हो चुकी है। बिलासपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का लोकार्पण देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने धनवंतरी दिवस के अवसर पर किया। राज्य सरकार रायपुर के डीकेएस अस्पताल में जल्द ही आर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा भी देने जा रही है।

वर्तमान में मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की सरकार ये बात भली भांति समझती है कि भारत की तर्ज पर छत्तीसगढ़ को भी वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाना है तो स्वास्थ्य वो अनिवार्य कड़ी है जिससे राज्य स्वस्थ, सक्षम और समृद्ध बनेगा। खुशी की बात ये है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल बेहद गंभीर हैं। उनके प्रयासों से छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार विस्तार हो रहा है और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आ रहा है। (Chhattisgarh Special)

Back to top button
error: Content is protected !!