Congress on OBC Reservation: छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों के पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिसमें OBC के लिए कोई पद आरक्षित नहीं हुआ है। इसे लेकर पूर्व CM भूपेश बघेल ने प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि आखिर वही हुआ जिसकी आशंका मैंने व्यक्त की थी। पूरे प्रदेश में एक भी जिले में अब पिछड़े वर्ग के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए पद आरक्षित नहीं होगा, जिस प्रदेश में लगभग पचास प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है, वहां उनको कोई आरक्षण न देना भाजपा की सोच ही हो सकती थी। इस सूची को रद्द कर नई संशोधित सूची जारी करनी चाहिए।
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पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के चुनाव के लिए जारी हुई आरक्षण सूची देखकर बहुत दुख हुआ कि इस बार ओबीसी वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं है। पिछले चुनाव में 7 सीटें ओबीसी समुदाय से आने वाले प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित थीं। ये पूरे समुदाय के साथ नाइंसाफी है। आरक्षण सिर्फ 16 सीटों पर अनुसूचित जनजातियों को दिया गया है, जो 33 सीटों के 50% से भी कम है। आरक्षण के साथ इस तरह की छेड़छाड़ पिछड़े वर्ग से उनका अधिकार छीनने का षड्यंत्र है। सरकार से अपेक्षा है कि उचित भागीदारी निश्चित करे और इन पदों पर कैबिनेट से पारित कर कम से कम पहले के जैसे 75% आरक्षण तय करे। (Congress on OBC Reservation)
PCC चीफ दीपक बैज ने भी उठाए सवाल
PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि यह पिछड़े वर्ग के साथ विश्वासघात है। अब प्रदेश के किसी जिले में एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग का नहीं होगा। जिस प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी पिछड़े वर्ग की है, वहां उनके आरक्षण को इस तरह नजरअंदाज करना सरकार की मानसिकता को दर्शाता है कि वह इस वर्ग को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। सरकार को अपनी असल मंशा स्पष्ट करनी चाहिए और तुरंत इस आरक्षण सूची में संशोधन करना चाहिए। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कहा कि यह पिछड़ों के साथ धोखा है। अब प्रदेश के किसी भी जिले में एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग का नहीं होगा, जिस प्रदेश में 50% आबादी पिछड़ा वर्ग की है वहां आरक्षण में इस तरह दरकिनार करना बताता है की सरकार इस वर्ग को कमजोर करना चाहती है। सरकार अपनी मंशा स्पष्ट करे और तत्काल इस आरक्षण सूची में संशोधन हो। (Congress on OBC Reservation)