आचार्य विद्यासागर महाराज के योगदान को युगों-युगों तक याद रखा जाएगा: CM विष्णुदेव साय

CM Sai Acharya Vidyasagar: आचार्य 108 विद्यासागर महाराज का राजनांदगांव में अंतिम संस्कार किया गया, जिन्हें PM नरेंद्र मोदी ने नमन किया। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर महाराज के सिद्धांत और विचारों से भारत भूमि को सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आचार्य विद्यासागर के ब्रम्हलीन होने पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज का देश और समाज के लिए योगदान युगों-युगों तक याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्व वंदनीय संत विद्यासागर महामुनिराज के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज को देश और समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक याद किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक चेतना के पुंज आचार्य विद्यासागर के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने भी आचार्य विद्यासागर के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ईश्वर से महाराज को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि विश्व-कल्याण के लिए आचार्य विद्यासागर महाराज का समर्पण अविस्मरणीय है। कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने भी उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। मंत्री नेताम ने कहा कि परमवंदनीय संत सिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के द्वारा देश और समाज को दिए गए योगदान के लिए हमेशा स्मरण किए जाते रहेंगे। आचार्य विद्यासागर ने छत्तीसगढ़ राज्य समेत देश-दुनिया को ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने, त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक याद किया जाएगा। आचार्य विद्यासागर महाराज की श्री चरणों में कोटि-कोटि नमन। (CM Sai Acharya Vidyasagar)

बता दें कि छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में आचार्य विद्या सागर का पार्थिव शरीर डोले में रखकर अग्निकुंड तक ले जाया गया। वहां पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक 6 फरवरी को दोपहर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली थी और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि समय सागर महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद देने की घोषणा कर दी थी।आचार्य द्वारा पिछले चार साल से दीक्षा नहीं दी गई। आखिरी बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षांत समारोह हुआ। इसमें 10 को मुनि दीक्षा दी। आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 में शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। (CM Sai Acharya Vidyasagar)

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