डेस्क न्यूज : सोशल साइट्स जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उपलब्ध सेहत से जुड़ी जानकारी हर बार पूरी तरह सही नहीं होती। इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह से मानना आपके लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है।हाल ही इससे जुड़े मामले सामने आए हैं। इनमें सही जानकारी के अभाव मेंं व्यक्ति की सेहत बिगड़ सकती है। जानिए क्यों इनसे दूरी बनाएं और क्या हैं तर्क?
यह भी पढ़ें : Reliance jio दे रहा अपने ग्राहकों को 2 दिन का फ्री अनलिमिटेड प्लान
एलोपैथी : बिना डॉक्टरी सलाह के ली जाने वाली दवाएं ‘ओवर द काउंटर’ असर करती हैं। ऐसे में रोग से अनजान होकर केवल लक्षणों को महसूस कर व्यक्ति दवाओं का चयन करता है। इससे कई बार व्यक्ति को जिस रोग के लिए दवा लेनी चाहिए उसकी दवा वह नहीं लेता जिससे उसे स्थायी रूप से तो राहत मिलती है लेकिन साइड इफेक्ट लंबे समय तक रहते हैं। कई बार एक समस्या का हल तो होता है लेकिन दूसरी नई दिक्कत होने की आशंका रहती है।
दवा की हर डोज शारीरिक संरचना और रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है। एलौपैथी में किसी भी दवा को बिना डॉक्टरी परामर्श के लेना किसी बड़े संकट को न्योता देने से कम नहीं है। जितना हो सके ऑनलाइन नुस्खों से दूरी बनाई जाए।
होम्योपैथी : होम्योपैथी में बीमारी के लक्षण, गंभीरता के आधार पर दवा तय की जाती है। हर दवा अलग पोटेंसी और समय अंतराल में असर करती है। एक ही रोग से पीडि़त दो मरीज हों तो उनकी दवा उनके स्वभाव, आदतों के अनुसार दी जाती हैं। साथ ही दवाइयों के असर करने की अवधि भी अलग हो सकती है।
आयुर्वेद : इस पद्धति से कई रोगों का इलाज आसानी से हो सकता है। कई बार घरेलू चीजें ही काफी मददगार होती हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर मौजूद नुस्खों को लोग आसानी से अपना भी लेते हैं। आयुर्वेद में मौजूद जड़ी-बूटियों और अन्य चीजों की तासीर अलग-अलग होती है।
मरीज की शारीरिक प्रकृति (वात-पित्त-कफ), संरचना और स्वभाव के बाद ही यह निर्धारित किया जाता है कि कौनसी जड़ी-बूटी उसके रोग के अनुसार दी जाए। उदाहरण के तौर पर कफ प्रकृति वाले को कब्ज के इलाज के लिए ईसबगोल दिया जाए तो असर होगा लेकिन वात प्रकृति वाले को इसका असर न के बराबर या कम होगा। कोई भी दवा लेने से पहले विशेषज्ञ से चर्चा जरूर करें।