टाइफाइड, डायरिया, डेंगू और मलेरिया के बढ़े मामले, सावधानी बरतना जरूरी

Seasonal Diseases in Chhattisgarh: बारिश के मौसम में अलग-अलग कीटाणुओं और विषाणुओं के संपर्क में आने से कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है, जिनकी ओर ध्यान न देने पर गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। मानसून के आगमन के साथ ही राज्य में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए जागरुक करने स्वास्थ्य और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सतत प्रयासरत है। स्वास्थ्य विभाग ने इन बीमारियों की रोकथाम के लिए जनता से सतर्कता की अपील की है। इन मानसूनी बीमारियों से बचाव के आवश्यक उपायों और तरीकों का गंभीरता से पालन करें।

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मानसून के इन्हीं खतरों के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग बीमारियों से सुरक्षा के लिए शहरवासियों और ग्रामवासियों को जागरूक करने का लगातार प्रयास कर रहा है। इस अभियान के तहत गांवों के आवासों का सर्वे, निरीक्षण, दवाओं का वितरण और छिड़काव शुरू हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग का अमला हर दिन घर-घर जाकर पानी के पात्रों को खाली कर उनकी सफाई और दवाइयों का छिड़काव करती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग और मलेरिया विभाग द्वारा संयुक्त रूप से लगातार उनके प्रशिक्षित कर्मचारियों के सहायोग से घर-घर सर्वेक्षण, दवाइयों के वितरण और छिड़काव के कार्य के साथ गांव के नागरिकों को इसके लिए निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है। (Seasonal Diseases in Chhattisgarh)

डेंगू के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय

इन बीमारियों से बचाव के लिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीकों की जानकारी होना अति आवश्यक है। डेंगू एडिस नामक मच्छर के काटने से होता है, इससे बचाव के लिए मच्छरों से बचने का पूरा प्रबंध करें जैसे मच्छरदानी का उपयोग, शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़ों को इस्तेमाल। डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। डेंगू से बचने के लिए सावधानी ही सुरक्षा है, डेंगू से बचाव के उपायों को अवश्य अपनाएं। कूलर, पानी की टंकी, फ्रिज की ट्रे, फूलदान को हर हफ्ते खाली करें और धूप में सुखाकर प्रयोग करें। नारियल का खोल, टूटे हुए बर्तन और टायरों में पानी जमा न होने दें, घरों के दरवाजे-खिड़कियों में जाली समेत परदे लगाएं। पैर में मोजे पहने और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। (Seasonal Diseases in Chhattisgarh)

मलेरिया के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय

मलेरिया एक गंभीर और कभी-कभी जानलेवा बीमारी है। यह संक्रमित मादा एनाफिलिज़ मच्छर के काटने से फैलती है। आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटे जाने के 10-15 दिन बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार के साथ कंपकपी आना, पसीना आना, मतली या उलटी, सिरदर्द, दस्त, थकान महसूस होना, शरीर में दर्द इत्यादि हो सकते हैं। इससे बचने के लिए मच्छरों से बचाव के तरीके अपनाएं और लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। घरों में नीम की पत्ती जलाकर धुंआ करें और नाली में कैरोसीन या जला हुआ तेल डालें, जिससे मच्छर का लार्वा नष्ट हो जाता है। (Seasonal Diseases in Chhattisgarh)

टाइफाइड के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय

आंत्रज्वर जीवन के लिए एक खतरनाक रोग है, जो सलमोनेल्ला टायफी नामक जीवाणु (बैक्टीरिया) से होता है, जिसकी संभावना बारिश के मौसम में अत्यंत बढ़ जाती है। आंत्रज्वर (टाइफाइड) का इलाज सामान्यतः एंटीबायोटिक दवाइयों से किया जा सकता है। इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है। यह रोग गंदे हाथों से खाना खाने से, दूषित पानी व खाना खाने से होता है। टाइफाइडमें दस्त लगना औरमल में खून आना, भूख न लगना और कमजोरी आना, उल्टियां आना, तेज बुखार और सिर में तेज दर्द होना लक्षण दिखाई देते हैं। इसके इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, साथ ही समय पर दवाइयों का सेवन करें और पूरी तरह आराम करें। शौच के बाद और खाना बनाने या खाने से पहले हाथ अच्छी तरह से अवश्य धोएं, स्वच्छ पानी पिएं और पूरी तरह पका खाना ही खाएं। (Seasonal Diseases in Chhattisgarh)

दस्त और पेचिश के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय

सुबह दस्त रोग दूषित पानी के सेवन से होता है। बच्चों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है। शरीर से ज्यादा पानी निकल जाने से मृत्यु का खतरा भी बना रहता है। इसके प्रमुख लक्षणों में पेचिश, बुखार आना, पेट में ऐंठन, निर्जलीकरण, मतली और उल्टी, भूख में कमी हैं। इससे बचने के लिए तरल पदार्थों का, शुद्ध पेयजल औरशुद्ध भोजन का सेवन करें। अच्छी तरह से हाथ धोकर खाना खाएं, हरी सब्जी औरफलों का सेवन धोकर करें, सड़े गले फल औरखाद्य पदार्थों का उपयोग न करें, खाने-पीने की वस्तुओं को ढंककर रखें, दस्त लगने पर डॉक्टर की सलाह पर ओ.आर.एस. का घोल बनाकर औरजिंक सल्फेट गोली का उपयोग करें। (Seasonal Diseases in Chhattisgarh)

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