छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ ऐतिहासिक मावली मेला, जानें 800 साल से भी पुराने इस मेले का इतिहास

Mavli Mela 2023 : देवी- देवताओं की आस्था व स्थानीय लोक संस्कृति का अनोखा संगम पारंपरिक मावली मेले का मंगलवार को शुरुआत हुआ। सप्ताह भर तक चलने वाले इस मेले में जिले के साथ ही अन्य जिलों के देवी – देवताओं के विग्रह भी शामिल होते हैं। मिली में स्थानीय आदिवासी संस्कृति के साथ ही देवी-देवताओं के आंगा डोली आदि का प्रदर्शन होता है, जो परंपरा अनुसार मेला परिक्रमा करते हैं। इस दौरान उपस्थित दर्शकों द्वारा चावल एवं पुष्प-पंखुड़ियों को देवी-देवताओं की आत्मीय अगुवानी में अर्पित करते हैं।

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Mavli Mela 2023 : लोक संस्कृति का प्रतीक है यह मेला

वार्षिक मेले में धार्मिक आयोजन के साथ-साथ लोक संस्कृति का अनूठा मेल मिलाप देखने को मिलता है क्योंकि मड़ई यहां मात्र मनोरंजन का आयोजन नहीं है बल्कि इसके माध्यम से क्षेत्र के निवासी अपने आराध्य देवी-देवताओं का पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर अपनी धार्मिक सद्भावना प्रदर्शित करते हैं। इस क्रम में देवी-देवताओं को मेला स्थल पर लाये जाने के पश्चात मुख्य पुजारियों एंव सिरहा-गायता सहित मांझी, ग्राम प्रमुखों द्वारा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की अगुवानी की गयी।

क्या है मावली मेले की परंपरा

सम्पूर्ण मेला स्थल की परिक्रमा भी परम्परागत दैवीय अनुष्ठान का एक प्रमुख अंग माना जाता है। इस क्रम में सर्वप्रथम ग्राम पलारी से आयी हुई माता डोली एंव लाट, देव विग्रह द्वारा सर्वप्रथम पूरी भव्यता के साथ परिक्रमा किया गया। तत्पश्चात उनके पीछे-पीछे अन्य ग्रामों के देवी-देवताओं एंव डोलियों ने उनका अनुसरण करते हुए परिक्रमा किया, इनके साथ ही छत्र एंव डंगई लाट, देव विग्रह पकड़कर उनके श्रद्धालु और ग्रामीण भी साथ चल रहे थे। इस दौरान पांरम्परिक आस्था के प्रतीक स्वरूप इन देव विग्रहों, लाटों को काले, सफेद, लाल झंडियों एंव फूलों से सजाया गया था और पूरा मेला स्थल ढ़ोल- नगाड़े, मोहरी एवं अन्य बाजे-गाजे की धुन से गूंज रहा था।

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Mavli Mela 2023 : आसपास ग्रामों के देवी देवता हुए सम्मिलित

वार्षिक मेले में जिले के आस-पास के ग्रामों जैसे पलारी, भीरागांव, बनजुगानी, भेलवांपदर, फरसगांव, कोपाबेड़ा, डोंगरीपारा के ग्रामीण देवी देवता, माटीपुजारी, गायता, सिरहा-गुनिया आदि सम्मिलित हुए। जहां आराध्य मां दन्तेश्वरी के अलावा विभिन्न समुदायों के देवी- देवताओं जैसे सियान देव, चौरासी देव, बूढ़ाराव, जरही मावली, गपा-गोसीन, देश मात्रा देवी, सेंदरी माता, दुलारदई, कुरलादई, परदेसीन, रेवागढ़ी, परमेश्वरी, राजाराव, झूलना राव, आंगा, कलार बूढ़ा, हिंगलाजीन माता, बाघा बसीन देवी- देवताओं की पूरे धार्मिक विधि-विधान ढोल- नगाडे़, मोहरी, तोड़ी, मांदर एंव शंख ध्वनि के साथ भव्य पूजा- अर्चना सम्पन्न किया गया।

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