कांग्रेस में भारी फुटमत! जिसे राहुल गांधी बता रहे थे ‘ब्रम्हास्त्र’, कांग्रेसी नेता ने उसे बताया इंदिरा-राजीव का अपमान

Congress leader Anand Sharma : देश भर में घूम-घूम कर जाति को मुद्दा बनाने में लगे राहुल गांधी को उनकी पार्टी के ही एक बड़े नेता ने कड़ी नसीहत दी है. कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने चिट्ठी लिखी है. आनंद शर्मा ने लिखा है-जाति को चुनावी मुद्दा बनाना इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की राजनीतिक विरासत का अपमान है. कांग्रेस कभी जाति की राजनीति में शामिल नहीं हुई. आनंद शर्मा के पत्र का मतलब ये है कि राहुल गांधी अपने पिता और दादी दोनों की विचारधारा को खत्म करने में लगे हैं.

कांग्रेस के वरीय नेता आनंद शर्मा (Congress leader Anand Sharma) ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा है. इस चिट्ठी में कहा गया है कि इस चुनाव में जाति जनगणना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया एलायंस ने जातीय जनगणना का समर्थन किया है. इंडिया एलायंस में वैसे दल भी शामिल हैं जिन्होंने लंबे समय से जाति आधारित राजनीति की है. लेकिन कांग्रेस की नीति उनसे अलग रही है.

आनंद शर्मा ने अपने पत्र में कहा है कि जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, लेकिन कांग्रेस कभी भी जाति की राजनीति में शामिल नहीं हुई है और ना ही इसका समर्थन किया है. जाति की राजनीति लोकतंत्र के लिए सही नही है. इसलिए एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में कांग्रेस ने समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए नीतियां बनाने में भरोसा रखा है.

आनंद शर्मा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा है कि उन्होंने 1980 में ये नारा दिया था कि “ना जात पर, न पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर”. आऩंद शर्मा ने पूर्व पीएम राजीव गांधी का भी जिक्र करते हुए कहा है कि 1990 के मंडल दंगों के बाद विपक्ष के नेता के रूप में राजीव गांधी ने 6 सितंबर 1990 को लोकसभा में अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा था “अगर हमारे देश में जातिवाद को स्थापित करने के लिए जाति को परिभाषित किया जाता है तो हमें समस्या है…. अगर चुनाव में जातिवाद को मुद्दा बनाया जाएगा तो हमें दिक्कत होगी.” राजीव गांधी ने कहा था कि कांग्रेस खड़े रहकर इस देश को बर्बाद औऱ विभाजित होते हुए नहीं देख सकती.

जातीय जनगणना से कोई फायदा नहीं
आनंद शर्मा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि देश में जातिगत भेदभाव वाली आखिरी जनगणना 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी. स्वतंत्रता के बाद, सरकार ने सोच समझ कर फैसला लिया कि जनगणना में एससी और एसटी को छोड़कर जाति संबंधी दूसरे विवरण नहीं होंगे. आजादी के बाद सभी जनगणना आयुक्तों ने किया है. आनंद शर्मा ने लिखा है कि जाति जनगणना न तो रामबाण हो सकती है और इससे बेरोजगारी और समाज में असमानताओं का समाधान हो सकती है. ऐसे महत्वपूर्ण मसले पर कांग्रेस का अपने विचारधारा से भटकाव का देश पर बड़ा असर हो सकता है.

आऩंद शर्मा (Congress leader Anand Sharma) ने कहा है कि कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आंतरिक चर्चा और बहस को प्रोत्साहित किया है. ऐसे में जातीय जनगणना पर जिला और प्रदेश कांग्रेस समितियों से विचार विमर्श करना चाहिये. उन्होंने लिखा है कि जाति के मामले में कांग्रेस का स्डैंट संतुलित होना चाहिये और क्षेत्रीय और जाति आधारित पार्टियों के कट्टरपंथी रुख से बचना चाहिए.

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