छत्तीसगढ़ में अब शहरों से ही नहीं, गांव से भी तैयार हो रहे उद्यमी

रूरल इंडस्ट्रियल पार्क पुहपुटरा में महिला उद्यमी चला रहीं बेकरी यूनिट, टसर रेशम धागाकरण का काम भी जारी

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार (Chhattisgarh State Government) द्वारा रोजगार के नए अवसर सृजन और लघु उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में रीपा यानी महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क की शुरुआत की गई है। गांव में ही महिलाओं और युवाओं को रोजगार मिलने से लोगों के पलायन में कमी आ रही है। सरगुजा जिले में प्रत्येक विकासखंड में 2-2 रीपा की स्थापना की गई है जहां लघु उद्यम के रूप में गतिविधियां शुरू की गई हैं।

इसी क्रम में सरगुजा जिले के विकासखंड लखनपुर अंतर्गत पुहपुटरा रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में जया महिला समूह बेकरी यूनिट का संचालन कर रहा है। यहां महिलाएं ब्रेड, टोस्ट और क्रीम रोल बना रही है, जिनकी आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों तक की जा रही है। इस योजना से ग्रामीण महिला समूह आर्थिक लाभ कमा रहे हैं।

जया महिला स्व सहायता समूह की सदस्य सुमित्रा राजवाड़े ने बताया कि इस समूह में 10 महिलाएं काम कर रही हैं। हमने रीपा में बेकरी यूनिट के संचालन की शुरुआत की है जिसमें जिला प्रशासन का सहयोग मिला है। (Chhattisgarh State Government)

उन्होंने बताया कि काम शुरू करने से पहले उन्हें जिला प्रशासन द्वारा गुणवत्तापूर्ण ब्रेड निर्माण की विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद औद्योगिक पार्क में ब्रेड बनाने की मशीन लगाई गई है जहां उत्पादन जारी है। आपूर्ति और विक्रय की चैन को समझ रहे हैं जिससे बेहतर तरीके उद्यम चला सकें।

शासन ने हम ग्रामीण महिलाओं पर भरोसा जताया है और रोजगार देने का नवाचार शुरू किया। सभी महिलाएं पूरी मेहनत से काम कर रही हैं जिससे इस उद्यम को सफल बनाया जाए। सुमित्रा ने छत्तीसगढ़ शासन की योजना की सराहना करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता ही है जो महिलाओं को उद्यमी बनाने का काम किया जा रहा है। सुमित्रा ने काम मिलने पर अपनी खुशी जाहिर की।

रीपा के अंतर्गत महिलाएं कर रही टसर धागाकरण का काम

महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के तहत पुहपुटरा में रेशम विभाग के सहयोग से टसर धागाकरण की गतिविधि भी शुरू की गई है। जिसमें 20 महिलाओं के द्वारा बुनियाद मशीन से टसर धागाकरण कार्य किया जा रहा है जिसके प्रथम चरण में 10 महिलाओं का समूह तैयार कर प्रशिक्षण शुरु किया गया है। प्रशिक्षण के प्रथम चरण में ही इन महिलाओं द्वारा गुणवत्तायुक्त धागा तैयार किया जा रहा है। रेशम धागाकरण से वर्षभर लाभ लिया जा सकता है। रेशम धागाकरण के काम में न्यूनतम 2-2.5 किलोग्राम का धागा उत्पादन करने पर प्रति हितग्राही 5000-6500 रुपये की आमदनी हो सकती है। रीपा के माध्यम से धागाकरण की गतिविधि से स्थायी रोजगार सृजन करने की दिशा में सशक्त कदम लिया गया है। (Chhattisgarh State Government)

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