अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनेगी धान के कटोरे की पहचान: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

India International Rice Summit: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट 2025 में शामिल हुए। इस कार्यक्रम से केंद्रीय खाद्य और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व केंद्र सरकार ने देश के किसानों के मान और सम्मान को बढ़ाने का काम किया है। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए किसान हित में फैसले लिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में भरपूर मात्रा में धान होता है। यहां के चावल का वैल्यू एडिशन और ब्राडिंग कर इसे दुनिया के बाजारों में पहुंचाने की जरूरत है। इससे किसानों और व्यापारियों को लाभ मिलेगा। उन्होंने किसानों को उन्नत कृषि को अपनाने और पानी की कम खपत वाली फसल लेने की अपील की।

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केंद्रीय मंत्री गोयल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर किसानों की बेहतरी और छत्तीसगढ़ राज्य के तरक्की के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में राइस मिलर्स प्रमोटर्स द्वारा इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट के आयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पोषणयुक्त चावल के उत्पादन पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत मिले। छत्तीसगढ़ में राइस मिलर्स प्रमोटर्स का यह आयोजन छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ-साथ प्रदेश के समृद्धि के लिए मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट को संबोधित करते हुए कहा कि के ही दिन अयोध्या धाम मंदिर में भगवान रामलला विराजे थे। छत्तीसगढ़ माता कौशल्या का मायका और भगवान राम का ननिहाल है। रामलला के विराजमान होने की प्रथम वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश और देश की जनता को बधाई और शुभकामनाएं दी। (India International Rice Summit)

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि धान के कटोरे छत्तीसगढ़ राज्य में इंडिया इंटरनेशनल राइस समिट का आयोजन छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि धान से छत्तीसगढ़ की पहचान पूरे देश में है। अब हमें इस पहचान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाना है। हमारे यहां धान की जितनी प्रजातियां हैं उतनी अन्य कहीं नही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं एक किसान-पुत्र हूं। मैंने खुद अपने हाथों से हल चलाया है। मुझे खेती का अच्छा अनुभव है। इसलिए मैं ये कह सकता हूं कि हमारे प्रदेश के गांवों में धान की इतनी प्रजातियां हैं, जिनके नाम भी सभी लोगों को नहीं मालूम होगा। जब देश आजाद हुआ उस समय मेरे दादाजी मनोनीत विधायक थे, मगर खेती से हमेशा उनका जुड़ाव रहा। वे जो धान लगाते थे, वह धान इतना खुशबूदार था कि पूरा खेत महकता था। जिस घर में चावल पकता था उसके पास से गुज़रने वालों को सुगन्ध से पता चल जाता था कि चावल बन रहा है। छत्तीसगढ़ की ऐसी प्रजातियों को सामने लाने की जरूरत है। (India International Rice Summit)

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हम अपने किसानों को धान का सर्वाधिक मूल्य दे रहे हैं। इस वजह से राज्य में खेती का रकबा तो बढ़ा ही है, साथ ही किसानों की संख्या भी बढ़ी है। जहां पहले 24 लाख किसान पंजीकृत थे वहां अब 27 लाख से अधिक किसानों का पंजीयन हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की फसल में कम मेहनत में अच्छा फायदा किसानों को मिलता है। छत्तीसगढ़ के चावल को विदेशों को निर्यात किया जाना चाहिए। मैं निर्यातको से अपील करता हूं कि वे यहां के धान की किस्मों की जानकारी लेकर धान की निर्यात को प्रोत्साहन दे जिससे राज्य के किसान लाभान्वित हो। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में किसानों के हित में काम कर रही है। (India International Rice Summit)

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही मदद और उनके हित में लिए गए फैसलों से खेती में समृद्धि और किसान खुशहाली आई है। राज्य से चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मंडी शुल्क पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। किसानों की बेहतरी के लिए हम छत्तीसगढ़ को ओपन मार्केट बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने राइस मिल प्रमोटर्स से किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम दिलाने का अपील की। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल, एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव, आलोक बिसारिया, छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स प्रमोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश जैन समेत राइस मिलर्स और देश के प्रतिष्ठित स्टेक होल्डर्स उपस्थित थे। (India International Rice Summit)

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