मेला में विधान सभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत ने किया सन्त समागम का शुभारंभ, बोले- साधु संतों के दर्शन से ज्ञान रूपी धन मिलता है

Maghi Punni Mela : त्रिवेणी संगम के तट पर आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला  के संत समागम समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत शामिल हुए। डॉ महंत एवं अतिथियों ने भगवान श्री राजीवलोचन, कुलेश्वर महादेव और महानदी की पूजा आरती कर प्रदेशवासियों की समृध्दि और खुशहाली की कामना की।

समारोह में धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव, गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदर दास, पूर्व विधायक गुरुमुख होरा, संत विचार साहेब, सिद्धेश्वरानंद जी महाराज, उमेश आनंद महाराज, देवदास जी महाराज मंच पर विशेष रूप से मौजूद थे।

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Maghi Punni Mela : मुख्य अतिथि डॉ. महंत ने कहा –

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ महंत ने कहा कि पवित्र नगरी राजिम में आकर अत्याधिक प्रसन्नता हो रही है। राजिम पुन्नी मेले में आए साधु-संतों, श्रद्धालुजनों का मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की पवित्र नगरी राजिम में आने से हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। यहां न सिर्फ सोंढूर, पैरी एवं महानदी का संगम है बल्कि यहां धर्म, अध्यात्म एवं आस्था का भी संगम है। भगवान श्रीराजीव लोचन, श्री कुलेश्वर नाथ महादेव एवं राजिम माता की कृपा हमेशा बनी रहे। संगम में स्नान करने का पुण्य मिलता है। लाखों की संख्या में श्रध्दालुगण आते हैं। भगवान हमें साक्षात आशीर्वाद दे रहे है।

साधु संतो का समागम छत्तीसगढ़ के साथ देशभर का आयोजन बन गया है। किसी भी मेले का सामुहिक महत्व होता है। उन्होंने आगे कहा की भारत साधु-संतों की भूमि रही है। उनके आगमन से पवित्रता को प्राप्त करते है। संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है। उन्होंने कहा कि राजिम पुन्नी मेले का सांस्कृतिक महत्व भी है।

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पूर्व मुख्यमंत्री श्यामचरण शुक्ल को किया याद

उन्होंने कहा कि साधु संतों से जीवन जीने का मंत्र मिलता है। इनके दर्शन प्रवचन और सुनने से कई पाप धुल जाते हैं। जो हमारे पूर्वजों ने बताई है। इस मान्यता को मुख्यमंत्री ने पुनः स्थापित किया। आज पूर्व मुख्यमंत्री श्यामचरण शुक्ल जी का पुण्यतिथि है।।उन्हें शत शत नमन करता हूँ। सन्त पवन दीवान को भी उन्होंने श्रद्धा नवत किया। उन्हों ने जानकी माता जयंती के अवसर पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज संस्कृति को पुनः स्थापित किया जा रहा है। यहां मेला व्यवस्था और राज्य के रंग को दिखाने का प्रयास किया है उसके लिए मंत्री ताम्रध्वज साहू को बधाई दी। उन्होंने कह कि यहां आकर हमें ज्ञान का रुपी धन मिलता है। डॉ महंत ने साधु संतों का स्वागत करते हुए सन्त समागम की बधाई दी।

Maghi Punni Mela : सबको पुण्य स्नान के लिए किया आमंत्रित

धर्मस्व और जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि हम मेला को लगातार अच्छा बनाने के लिए प्रयासरत है। हमारी सरकार ने स्थानीय को ही ध्यान में रखकर मेला के स्वरूप को बदला है। उन्होने कहा कि हमने श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा है। मंत्री ने राजिम मेला के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। उन्होंने महाशिवरात्रि में सबको पुण्य स्नान के लिए आमंत्रित किया।

धर्मस्व मंत्री ताम्रजध्वज साहू ने कहा की हर वर्ष आयोजन को बेहतर रुप देने का प्रयास रहता है। जिसमें हम सफल हो रहे है। पिछले वर्ष लक्ष्मण झुला की सौगात अंचल वासियों को मिला है। इससे साल भर भगवान कुलेश्वरनाथ का दर्शन होगा। राम वन गमन पथ के लिए 19 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। नए मेला स्थल को स्थायी तौर पर विकसित किया जा रहा है। 3.5 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। जिसके लिए 41 करोड़ की स्वीकृति मिली है। यहां 2 करोड़ रुपए का घाट के लिए राशि स्वीकृत किया गया है। यहां अब मुरुम नही बल्कि रेत से ही सड़कें बनाई गई है।

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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप तीज तिहार, लुप्त हो रही संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। आज सब गर्व से छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया कह रहे हैं। स्थानीय खेल, परम्परा और संस्कृति को न केवल सरंक्षण दे रहे है, बल्कि बढ़ावाभी दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के आध्यात्मिक एवं पर्यटन स्थल को प्रदर्शित किया जा रहा है। आज मेला के दौरान संगम में पानी की व्यवस्था किया गया हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के अनुसार पेयजल, स्वास्थ, सुरक्षा आदि का ध्यान रखा गया है। बता दें की संस्कृति से दूर मेला को मूल स्वरूप में लाने का प्रयास किया गया है।

इस अवसर पर अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू ने राजिम की गरिमा को रेखांकित करते हुए कहा कि यहां की संस्कृति, परम्परा और आस्था लोगो के जीवन शैली में शामिल है। पुरातन समय मे लोग अपने परिवार के साथ यहां आते थे और राजिम मेला का आनंद लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मूल संस्कृति और परम्परा को आगे बढ़ा रही है। जिसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

राजिम विधायक शुक्ल ने कहा कि राजिम की इस पवित्र भूमि से सदैव लगाव रहा है। यहां की मिट्टी से वे रचे बसे है। पहले हम सब बैल गाड़ी में यहां आते थे। उन्होंने कहा कि राजिम मेले की महत्ता इस क्षेत्र ही नही बल्कि पूरे देश के लिए जाना जाता है। यहां की पवित्र धरा में ईश्वर और सन्तो का वास है। कई दशकों से इस पुन्नी मेला का महत्व है। यहां 15 दिन तक शराब और मांस मदिरा का विक्रय निषेध है। जो हमारी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत स्वयं कबीर के अनुयायी है।

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सिहावा विधायक डॉ लक्ष्मी ध्रुव ने राजिम की गरिमा और आयोजन के सम्बंध में विचार व्यक्त की। उन्होंने राज्य की लोक कल्याणकारी योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के अगुवाई में आज राज्य में चहुं ओर विकास हो रहा है। आने वाले साल में विकास और तीव्र गति से होगा। समारोह को गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदर दास ने सम्बोधित किया ।उन्होंने कहा कि आज गौ माता की सेवा के लिए आयोग का गठन किया है। आज मुख्यमंत्री की नेतृत्व में राज्य में धर्म और आस्था का वातावरण निर्मित हुआ है।

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कलेक्टर मलिक ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि

मेला इस वर्ष भी लोक श्रद्धा, परम्परा और प्राचीन संस्कृति के अनुरूप व पुन्नी मेला के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राम वन गमन को मूर्त रूप लेने से राजिम की गरिमा बढ़ गया है। उन्होंने आयोजन सम्बंधित जानकारी दी।

ब्रम्हकुमार नारायण भाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह आयोजन आस्था धर्म संस्कृति के बीच हो रहा है। मानव स्वयं को भूल जाता है तब ऐसे समय पर स्वयंभू शिव कल्प के अंत में आता है। आत्मा अजर अमर है सत्यता के आभाव के कारण मानव का मनोबल गिरता जा रहा है। आस्था ज्ञान का रुप लेती है तब अध्यात्म बन जाता है। जहाॅं सत्य वहाॅं शांति है।

इस अवसर पर गरियाबंद राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर, नवापारा के अध्यक्ष धनराज मध्यानी, जनपद पंचायत फिंगेश्वर के अध्यक्ष पुष्पा साहू, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू, सन्त गण, सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं कलेक्टर प्रभात मलिक, पुलिस अधीक्षक अमित काम्बले, जिला पंचायत सीईओ रीता यादव, अपर कलेक्टर अविनाश भोई मौजूद थे। (Maghi Punni Mela)

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