नवरात्रि का पहला दिन आज, इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा

Navratri Ka Pahla Din: नवरात्रि 26 सितंबर यानी आज से शुरू हो गई है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। मां दुर्गा के 9 स्वरूप व्यक्ति को जीवन जीने की सीख देते हैं। शैल का अर्थ होता है पत्थर या पहाड़। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा इसलिए की जाती है, ताकि व्यक्ति जीवन में मां शैलपुत्री के नाम की तरह स्थिरता बनी रहे। अपने लक्ष्य को पाने के लिए जीवन में अडिग रहना जरूरी है, जो कि हमें मां शैलपुत्री की पूजा से मिलता है।

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आपकों बता दें कि नवरात्रि के दिन कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन स्थापना के बाद दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है। जैसे किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी से होती है वैसे ही पूजा में कलश पूजा से ही शुरुआत होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की ये कथा श्रवण करने या सुनने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां शैलपुत्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (Navratri Ka Pahla Din)

करें मां शैलपुत्री की कथा

ज्योतिषी के मुताबिक मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है। हिमालयराज पर्वत की बेटी मां शैलपुत्री हैं। एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ के दौरान भगवान शिव और सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया था। लेकिन सती बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने को तैयार थीं। लेकिन भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि ऐसे बिना बुलाए जाना सही नहीं। पर सती नहीं मानी। ऐसे में सती की जिद्द के आगे भगवान शिव ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी। पिता के यहां यज्ञ में सती बिना निमंत्रण पहुंच गई। सती के साथ वहां बुरा व्यवहार किया गया। वहां सती ने अपनी माता के अलावा किसी से सही से बात नहीं की। (Navratri Ka Pahla Din)

इस बीच सती की बहनें भी यज्ञ में उनका उपहास उड़ाती रहीं। ऐसा कठोर व्यवहार और पति का अपमान सती बर्दाश नहीं कर पाईं और क्रोधित उन्होंने खुद को यज्ञ में भस्म कर दिया। भगवान शिव को जैसे ही ये समाचार मिला उन्होंने अपने गणों को दक्ष के यहां भेजा यज्ञ विध्वंस करा दिया। शास्त्रों के मुताबिक अगले जन्म में सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और इनका नाम शैलपुत्री रखा गया। इसलिए नवरात्रि के पहले मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। बता दें कि मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद प्रिय है। इसलिए पूजा के दौरान उन्हें सफेद रंग की चीजें बर्फी का भोग लगाया जाता है। (Navratri Ka Pahla Din)

ज्योतिषी ने बताया कि पूजा में सफेद रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के समय सफेद रंग के वस्त्र धारण करना लाभकारी है। इस दिन जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी और मिश्री रखकर अर्पित करने से सभी समस्याओं का अंत होता है। इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन की रहेगी और 4 अक्टूबर को महानवमी है। (Navratri Ka Pahla Din)

इन नौ दिन देवी दुर्गा के लिए भक्ति की जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक शास्त्रों में पंचदेव बताए गए हैं, इन पंचदेवों में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, सूर्य देव और देवी दुर्गा शामिल हैं। किसी भी शुभ काम की शुरुआत इन पांच देवों की पूजा के साथ ही होती है। मान्यता है कि इन पूजा करने से मुश्किल से मुश्किल काम भी बिना बाधा के पूरा हो जाता है और अगर कोई बाधा आती भी है तो हमें उसका सामना करने का साहस मिलता है। बता दें कि देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा में अलग-अलग प्रसाद चढ़ता है। इसलिए इनके लिए गाय का घी, शक्कर, शहद, तिल, गुड़, सेब, अनार, केला, नाशपाती, अंगूर, चीकू, अमरूद और नारियल खरीद लेने चाहिए। (Navratri Ka Pahla Din)

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