रायपुर। छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया है। उन्होंने कहा है कि नेताजी स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी तथा प्रमुख नेताओं में से हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए उन्होंने ‘‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा‘‘ जैसे फौलादी नारों से लोगों का आव्हान कर उन्हें जागृत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि आजाद हिंद फौज के गठन के माध्यम से उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष और अतुल्य योगदान के लिए नेताजी सदा याद किए जाएंगे।
आज ही के दिन नेताजी का विमान हुआ था हादसे का शिकार
अधिकारिक रिपोर्ट के हिसाब से आज ही के दिन यानी 18 अगस्त 1945 को नेताजी एक विमान हादसे का शिकार हो गए थे। ये घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी। उसी दिन शाम को ताइपेई के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।
कई लोग इस अधिकारिक रिपोर्ट पर आपत्ति जताते रहते हैं, जिसमें नेताजी के परिवार के लोग भी शामिल हैं। कई लोग मानते हैं कि कोई प्लेन हादसा नहीं हुआ था बल्कि नेताजी सोवियत संघ जा पहुंचे थे। कई लोग ये भी मानते हैं कि वो भारत आए और यहां भेष बदलकर रहने लगे।
विमान हादसा
18 अगस्त 1945 को विमान ताइहोकू, फॉर्मोसा (अब ताइपेई, ताइवान) पहुंचा। यहां विमान को दो घंटे रुकना था. इस दौरान विमान में ईंधन भरा गया और लगभग 2 से 2.30 बजे के बीच विमान ने दुबारा उड़ान भरी। प्लेन ने उड़ान भरी ही थी कि अचानक एक ज़ोर का धमाका हुआ। विमान जैसे ही ज़मीन पर गिरा, उसमें आग लग गई। कर्नल हबीबुर रहमान जो इस हादसे में बच गए थे, उन्होंने बाद में बताया कि बोस पूरी तरह आग की लपटों से घिर चुके थे। कर्नल रहमान और अन्य पैसेंजर्स ने उनके कपड़ों में लगी आग बुझाने की कोशिश की। लेकिन तब तक उनका पूरा शरीर झुलस चुका था। हवाई अड्डे पर मौजूद लोगों ने एम्बुलेंस की मदद से बोस और अन्य यात्रियों को ताइहोकू के दक्षिण में नानमोन सैन्य अस्पताल पहुंचाया।
नेताजी की अस्थियां
इसके दो दिन बाद 20 अगस्त को ताइहोकू में उनका अंतिम संस्कार किया गया। 23 अगस्त 1945 को जापानी समाचार एजेंसी डोमी ने बोस की मृत्यु की घोषणा की। 7 सितंबर को एक जापानी अधिकारी लेफ्टिनेंट तत्सुओ हयाशिदा बोस की अस्थियों को टोक्यो ले गए। वहां पहुंचकर हयाशिदा ने बोस की अस्थियों को टोक्यो इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के अध्यक्ष राम मूर्ति को सौंप दिया। 14 सितंबर को टोक्यो में बोस के लिए एक स्मारक सेवा आयोजित की गई। जिसके बाद नेताजी की अस्थियों के कलश को टोक्यो के रेंकोजी टेम्पल में रख दिया गया। आज भी उनकी अस्थियां उसी टेम्पल में हैं।