Sex Work Legal In India: अब सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार नहीं कर पाएगी पुलिस, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वेश्यावृत्ति भी एक पेशा

Sex Work Legal In India: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए देश में वेश्यावृत्ति को वैध करार दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है। साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया है कि उन्हें सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पुलिस को बालिग और सहमति से सेक्स वर्क करने वाली महिलाओं पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट कोरोना के दौरान सेक्स वर्कर्स को आई पर परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर्स भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा के हकदार हैं। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सेक्स वर्कर्स (Sex Work Legal In India) के अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में 6 निर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर्स भी देश के नागरिक हैं। वे भी कानून में समान संरक्षण के हकदार हैं।

वेश्यालय चलाना गैरकानूनी: SC

कोर्ट ने कहा कि इस देश के हर नागरिक को संविधान के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिला है। अगर पुलिस को किसी वजह से उनके घर पर छापेमारी करनी भी पड़ती है तो सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार या परेशान न करे। अपनी मर्जी से प्रॉस्टीट्यूट (Sex Work Legal In India) बनना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। महिला सेक्स वर्कर है सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को मां से अलग नहीं किया जा सकता। अगर बच्चा वेश्यालय या सेक्स वर्कर के साथ रहता है इससे यह साबित नहीं होता कि वह बच्चा तस्करी कर लाया गया है।

‘सेक्स वर्कर के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सेक्स वर्कर के साथ कोई भी अपराध होता है तो तुरंत उसे मदद उपलब्ध कराएं। उसके साथ यौन उत्पीड़न होता है तो उसे कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता समेत वो सभी सुविधाएं मिलें जो यौन पीड़ित किसी भी महिला को मिलती हैं। कई मामलों (Sex Work Legal In India) में ये देखा गया है कि पुलिस सेक्स वर्कर्स के प्रति क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है। ऐसे में पुलिस और एजेंसियों को भी सेक्स वर्कर के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

‘प्रॉस्टिट्यूट के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए’

बेंच ने कहा कि पुलिस को प्रॉस्टिट्यूट के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। पुलिस को उनके साथ मौखिक या शारीरिक रूप से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। कोई भी सेक्स वर्कर को यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं कर सकता। कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से सेक्स वर्कर्स से जुड़े मामले की कवरेज के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की है। इससे गिरफ्तारी, छापे या किसी अन्य अभियान के दौरान सेक्स वर्कर्स की पहचान उजागर न हो। कोर्ट ने ये आदेश सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास को लेकर बनाए गए पैनल की सिफारिश पर दिए हैं।

SC ने जारी किया 6 सूत्रीय दिशा-निर्देश

पीठ ने सेक्स वर्करों के अधिकारों की रक्षा के लिए 6 सूत्रीय दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने इन सिफारिशों पर सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है। केंद्र को इन पर जवाब देने को कहा है। जारी निर्देश के मुताबिक सेक्स वर्कर या यौनकर्मी कानून (Sex Work Legal In India) के तहत समान संरक्षण के पात्र हैं। आपराधिक कानून सभी मामलों में उम्र और सहमति के आधार पर समान रूप से लागू होना चाहिए। जब यह स्पष्ट हो जाए कि यौनकर्मी वयस्क है और सहमति से इस पेशे में भाग ले रही है तो पुलिस को हस्तक्षेप या कार्रवाई से बचना चाहिए। देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।

‘सेक्स वर्करों को गिरफ्तार ना करें’

दिशा-निर्देश में ये भी कहा गया है कि सेक्स वर्करों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए और न ही दंडित किया जाना चाहिए। वेश्यालयों पर छापा मारते वक्त उनका उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। सेक्स वर्कर के बच्चे को सिर्फ इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में है। मानवीय शालीनता और गरिमा की बुनियादी सुरक्षा सेक्स वर्करों और उनके बच्चों के लिए भी है। यदि कोई नाबालिग बच्चा वेश्यालय में सेक्स वर्कर के साथ रहता या रहती है तो यह नहीं माना जाए कि वह तस्करी कर यहां लाया गया है। अब देखना ये होगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इसका क्या असर होता है।

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