Mahakumbh Stampede : प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ में मरने वाले श्रद्धालुओं की तस्वीरें जारी

Mahakumbh Stampede : प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ में मौत का शिकार हुए श्रद्धालुओं की तस्वीरें जारी कर दी गई हैं. स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल कैंपस स्थित पोस्टमार्टम हाउस में मृतकों की तस्वीर लगाई गई हैं. जिन मृतकों की अभी तक शिनाख्त नहीं हुई है उनके शवों को इस पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया है. जिन किसी के परिजन महाकुंभ की भगदड़ में गायब हैं वो इन तस्वीरों को देखकर उनके बारे में जानकारी ले सकते हैं।

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प्रयागराज भगदड़ में मारे गए लोगों की ये तस्वीरें पोस्टमार्टम हाउस में दो जगहों पर लगाई गई हैं. इनमें से कुछ मृतकों को रंगीन तस्वीरें तो हैं तो कुछ की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें लगाईं है. ये वो तस्वीरें हैं जिन मृतकों की अभी तक शिनाख्त नहीं हुई है, उनके शव इसी पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया है।

जिनके परिजन महाकुंभ क्षेत्र से लापता है, वो इस पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर पहले तस्वीरों से अपनों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

30 श्रद्धालुओं की हुई है मौत

बता दें कि प्रयागराज में मौनी अमावस्या से पहले रात को संगम नोज पर अचानक भीड़ बढ़ने की वजह से बैरिकेडिंग टूट गई थी, जिसके बाद भगदड़ (Mahakumbh Stampede) मच गई. इस दौरान भीड़ संगम किनारे सो रहे लोगों पर चढ़ती चली गई. जिसके बाद एक बड़ा हादसा हो गया. प्रशासन के मुताबिक इस भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई है जबकि 90 लोग घायल हो गए थे।

डीआईजी वैभव कृष्णा ने घटना के दिन शाम को प्रेस वार्ता में दावा किया था कि जिन 30 लोगों की मौत हुई हैं उनमें से 25 लोगों की पहचान हो चुकी है, लेकिन जिस तरह से पोस्टमार्टम हाउस के बाहर दो दर्जन तस्वीरें लगाई गई हैं उससे प्रशासन के दावे पर सवाल उठ रहा है. माना जा रहा है कि महाकुंभ में मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।

हादसे के बाद भी नहीं डिगा उत्साह

यही धारणा संगम पर जन ज्वार के रूप में दिन रात उफना रही है। बिहार के रोहतास स्थित परछा गांव से अपनी मां को कुंभ स्नान कराने आए भूषण चंद्र चौबे बुधवार की रात संगम नोज पर हुए हादसे के समय घिर गए थे। बिना स्नान किए रात को किसी तरह वहां से सुरक्षित सेक्टर 18 के अपने शिविर में मां को लेकर वापस आए। बृहस्पतिवार को वह संगम नोज पर उसी जगह वह फिर अपनी मां सुनयना देवी को लेकर स्नान कराने पहुंचे।

त्रिवेणी की पावन धारा में डुबकी लगाकर दोनों मां-बेटा धन्य हो उठे। उनका कहना था कि वह यहां किसी चमक दमक, बसावट या बाहरी व्यवस्था को देखने नहीं आए हैं। संगम की महिमा ही सनातन संस्कृति का गौरव है। वह कहते हैं कि कुंभ मनुष्य के अंतर्मन की चेतना का नाम है। यह चेतना स्वत: जागृत होती है। यही चेतना भारत के कोने-कोने से लोगों को संगम तट तक खींच लाती है। (Mahakumbh Stampede)

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