ये राखी है खास… घरौंदा के 20 दिव्यांग बना रहे हैं राखी, 5 से लेकर 100 रुपए तक कीमत

Rakhi of Gharaunda Divyang: रक्षाबंधन पर्व को लेकर बाजार में तरह-तरह की राखियां बेची जा रही है, लेकिन कुछ ऐसी भी राखियां हैं जो लोगों के लिए खास बनी हुई हैं। दरअसल, कम कीमत पर खूबसूरत दिखने वाली यह राखियां इसलिए खास है, क्योंकि दिव्यांगों द्वारा बनाए जा रहे राखी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कलाई में भी सज चुकी है। इन्हें समाज कल्याण विभाग महासमुंद की आशा मनु विकास केंद्र घरौंदा के दिव्यांग बना रहे हैं। महासमुंद के नयापारा स्थित घरौंदा केंद्र में लगभग 20 मानसिक दिव्यांगों के द्वारा आकर्षक राखियां बनाई जा रही हैं, जो कम कीमत की होने के साथ लोगों की पहली पसंद बनी हुई है।

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27 अगस्त से बाजार में इन राखियों को स्टॉल लगाकर बेची जा रही है। अब तक यहां बच्चों के द्वारा 1500 से ज्यादा राखियां बनाई जा चुकी हैं और 10 हजार रुपए से ज्यादा की राखियां बेची जा चुकी है। ये राखियां इसलिए खास है क्योंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विगत 20 अगस्त को जब महासमुंद के दौरे पर आए थे तब दिव्यांग रानी साहू ने मुख्यमंत्री को अपने हाथों से ये राखियां पहनाई थी। मुख्यमंत्री ने उनके कौशल की सराहना करते हुए सहर्ष अपनी कलाई में राखी पहने थे। इसी तरह कलेक्टर प्रभात मलिक ने भी गत दिवस स्टॉल पहुंचकर राखी बंधवाई थी और खरीदी भी थी। (Rakhi of Gharaunda Divyang)

राखियों की बाजार में काफी डिमांड

गौर करने वाली बात यह है इन राखियों की बाजार में काफी डिमांड भी देखी जा रही है 5 रुपए से लेकर 100 रुपए तक की राखियां लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। मानसिक और शारीरिक रूप से अशक्त बच्चों के लिए शेल्टर होम चला रहा है। इसमें करीब 20 दिव्यांग हैं। संस्थान इन दिव्यांगों को छोटी-छोटी ट्रेनिंग देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। संस्था ने रक्षा बंधन के त्योहार में सामाजिक रिश्तों में और अधिक प्रगाढ़ता लाने और दिव्यांगों में आत्मविश्वास जगाने के लिए अनूठा प्रयास कर रहे हैं। (Rakhi of Gharaunda Divyang)

छोटी एक्टिविटी राखी बनाने में काम आ रही

इस बार इस संस्थान के दिव्यांग राखियां बना रहे है। संस्थान द्वारा सिखाई गई छोटी एक्टिविटी राखी बनाने में काम आ रही है, जैसे रंगों को पहचानना, गठान बांधना, धागा पिरोना। वहीं पूजन सामग्री, चुड़ियां, बाती इनके द्वारा बनाया जा रहा है। घरौंदा की अधीक्षक उषा साहू का कहना है कि इस प्रयास से जो भी थोड़ी बहुत आमदनी होगी इससे इन दिव्यांगों का हौसला बढ़ेगा, और इनको भी लगेगा कि हम भी कुछ कर दिखा सकते हैं। (Rakhi of Gharaunda Divyang)

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