सिर्फ सफल ही नहीं, एक सार्थक जीवन के धनी थे रमेश मोदी, पढ़ें पूरी खबर

Ramesh Modi Story: बात साल 2017 की है। जब रमेश मोदी के अमृत महोत्सव (75वीं वर्षगांठ) में रायपुर के इंडोर स्टेडियम में सरगुजा से लेकर बस्तर और रायपुर तक हजारों कार्यकर्ता, दर्जनों व्यवसायी, उद्योगपति, समाजसेवी, धार्मिक सांस्कृतिक और राजनैतिक दलों के मूर्धन्य लोग उन्हें शुभ कामनायें देने जुटे थे। उस कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा था कि 76 साल का इतना स्मार्ट आदमी मैंने नहीं देखा। मैं इनको बुजुर्ग नहीं कहता। ये तो हम सबसे ज्यादा चुस्त दुरुस्त रहते हैं। बाल भले सफेद हो गए हों, लेकिन उत्साह तनिक भी कम नही है। इतने लंबे समय से समाज के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को देखकर लगता है कि कब सरकार के साथ इनकी भागीदारी हो जाए।

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एक अवसर आया जब महापौर के लिए रायपुर में नाम ढूंढ रहे थे, तो सोचा उनसे अच्छा विकल्प कोई और नहीं हो सकता। लेकिन उन्हें जैसे ही इसकी जानकारी हुई वे कलकत्ता भाग गए। हम सब सारे दिन नामांकन के समय तक फोन करते रहे लेकिन उन्होंने 5 बजे तक फोन ही नहीं उठाया। 5 बजे उन्होंने काल आया तो पूछा बताओ मैं यदि सांसद, विधायक बन गया तो मेरा अस्पताल कौन देखेगा? बात ठीक भी है कि जिस व्यक्ति का मन धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों में इतना रम चुका हो कि नाम-पद-प्रसिद्धि उसे गौण लगने लग जाएं तो वह भला राजनीति में क्यों जाएगा। (Ramesh Modi Story)

27 अगस्त 1941 रायपुर में जन्मे रमेश मोदी एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने जीवन को उद्देश्य पूर्ण तरीके से जिया। लक्ष्य के प्रति निरंतर अग्रसर रहे। हिन्दुत्व के प्रति अडिग रहे तथा समाज के लिए कुछ कर गुजरने की चाहना कारोबारी जीवन में भी उन्हें डिगा ना सकी। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक बड़े कारोबारी से लेकर विश्व हिंदु परिषद के राष्ट्रीय मुख्य कोषाध्यक्ष तक की यात्रा और राम जन्मभूमि आंदोलन में छत्तीसगढ़ के एक मुख्य नायक के रूप में उनका योगदान अविस्मरणीय है। डॉ. रमेश छगन भाई मोदी एक सौम्य, सहज-सरल लेकिन विराट व्यक्तित्व के धनी थे। उनके पिता का नाम श्री छगन मोदी और माता का नाम प्रीति मोदी था। उनके दो पुत्र आकाश और क्षितिज हैं। (Ramesh Modi Story)

चार भाई और छह बहनों में सबसे छोटे रमेश मोदी का परिवार जितना समृद्ध है उससे कहीं अधिक समृद्ध व अनुकरणीय उनका सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन वृत्त है। मोदी ने 14 नवंबर को दोपहर बाद मुंबई की नानावती अस्पताल में इलाज करते हुए इस नश्वर देह से मुक्ति पाई। अगले दिन उनके पार्थिव शरीर को रायपुर के देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में अग्नि देव को समर्पित कर दिया गया। वे एक लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझे थे। अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष  आलोक कुमार ने कहा कि ‘वे सबके मित्र थे। (Ramesh Modi Story)

अगर कोई हिन्दू हितों की बात हो तो वे अपने वैचारिक विरोधियों से भी सहजता से करा लेते थे। इसके लिए उन्हें किसी के पास और कभी भी जाने में भी कोई संकोच नहीं था। अपने मृदु व आत्मीय व्यवहार के कारण सम्पूर्ण समाज में उनका पूरा सम्मान था।‘ विहिप के केन्द्रीय महामंत्री श्री मिलिंद परांडे ने कहा कि ‘उनके जाने से परिवार, संगठन व हिंदू समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। भगवान उनके परिवार को यह दुःख सहने कि शक्ति दे तथा दिवंगत आत्मा को सद्गति और शांति प्रदान करे, यही श्रीराम चरणों में प्रार्थना’।  (Ramesh Modi Story)

अपने अध्ययन काल से ही वे बड़े मुखर और प्रखर रहे। छात्र हितों, सामाज और धर्म को लेकर वे सदैव सजग और गंभीर रहे। पारिवारिक परिस्थितियों के चलते वे अध्ययन को बीच में ही छोड़कर ही अपने व्यवसाय से जुड़ गए और इसी दौरान विश्व हिंदु परिषद से भी जुड़े। संगठन में कार्यकर्ता से लेकर कई दायित्वों का निर्वहन किया। रायपुर में विश्व हिन्दू परिषद के पंडरी स्थित प्रांत कार्यालय की स्थापना में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी। उन्होंने सेवा यज्ञ प्रारंभ किया और कहा कि तुम “ऐसा मत सोचो कि सारे लोग मेरे साथ चलें किन्तु ये अवश्य सोचो कि सबके साथ तुम चलो”। उनको ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटन बहुत पसंद था। (Ramesh Modi Story)

प्रखर समाज सेवा कार्यों के लिए ही तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने उनको ‘दानवीर भामाशाह’ पुरस्कार भी दिया था। जब उनको पुरस्कार के लिए चुना गया तो उन्हें मनाने के लिए कई वरिष्ठ जनों को उनके घर जाकर समझाना पड़ा कि यह आपका नहीं अपितु, आपके साथी लाखों कार्यकर्ताओं का सम्मान है। उन्होंने बड़े-बड़े काम किये, लेकिन उनका क्रेडिट स्वयं कभी नही लिया। कहते हैं कि जिनके पास ये 6 चीजें होती है- स्वास्थ्य काया, आज्ञाकारी पुत्र, माता-पिता का आशीर्वाद, दोस्तों का प्यार, अनुशासन, और उदारता, वह सबसे सम्पन्न और धनी व्यक्ति होता है। वे सभी सुख उन्हें प्राप्त थे। उनका जीवन एक साधु की तरह था।
देश में, खासकर जनजातीय समाज में धर्मांतरण को रोकने के लिए उन्होंने बहुत बड़ा प्रयास किया। अयोध्या आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई है।

वे चेंबर ऑफ कॉमर्स के भी लंबे समय तक संरक्षक व थोक कपड़ा व्यापारी संघ पंडरी के अध्यक्ष रहे। रायपुर को कपड़ा हब बनाने में भी उनका बड़ा योगदान था। वे मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते थे किन्तु, छोटी सी उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया और उसके बाद परिवार में आर्थिक पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने एक बार बताया कि हमारी प्रॉपर्टी बिकने वाली थी। अपने जमाने में मेरे पिता कई लोगों के फायनेंसर थे किन्तु, जब हमें जरूरत पड़ी, तो किसी ने मदद नहीं की। इसी वजह से मेडिकल की पढ़ाई के सपने को छोड़ा मैं व्यापार में जुट गया। (Ramesh Modi Story)

अच्छा है कि उस जमाने में लोगों ने मेरी मदद नहीं की अन्यथा आज जहां हूं, ना होता। साहित्य में उनकी गहरी रुचि थी और वे कहा करते थे कि साहित्य वो है जो सबका हित करे। उन को किताबें पढऩे का बेहद शौक था। वो कहते थे कि दिल्ली के एक लेखक गुरुदत्त की किताबों से उन्हें सकारात्मक ऊर्जा मिलती थी। उनके वारे में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह माननीय श्री सुरेश सोनी ने एक बार कहा था कि जीवन सफल हुआ या नही, ये महत्वपूर्ण नहीं। मायने ये रखता है कि जीवन सार्थक हो। रावण सीता का अपहरण करने में सफल हुआ, लेकिन उस सफलता को कोई अच्छी दृष्टि से नहीं देखता।

वहीं जटायु की विफलता को जीवन मे सर्वस्व लगाने की पहल के तौर पर हम सभी देखते हैं। सार्थक जीवन के जितने उदाहरण समाज में होंगे, समाज उतना ही मजबूत होगा। हम सतयुग ला सकते हैं, लेकिन धर्म को चार पैर पर खड़ा करना होगा। इन सबके बीच अगर हम रमेश भाई मोदी को देखते हैं तो लगता है कि वे सार्थक जीवन के पूर्ण उदाहरण हैं। आज समाज की संवेदनशीलता कम हो गई है। बड़े-बड़े परिवार टूट रहे है। परिवार भाव ने पशु, पक्षी, नक्षत्र हर चीज के साथ जोड़ दिया। (Ramesh Modi Story)

हर घर में गाय को रोटी देते है, पानी का पात्र टांग देते हैं, ये चिंता है। भोजन के पहले गृहस्त बाहर निकलकर आवाज लगाता था कोई भूखा तो नही है। रमेश मोदी जी ने अपने निजी परिवार को एक रखा। और इसके साथ ही पूरे समाज को जोड़ लिया। उनका जीवन आज हम सबको चिंतन के लिए बाध्य कर रहा है। एक व्यक्ति अपने कई रूपों में जी सकता है ऐसी ही इंद्रधनुषी छटा रमेश मोदी के रूप में हमारे सामने है। चिंतन करने की जरूरत है। भारत का हर व्यक्ति ऐसा चितन करने लग जाए तो आने वाले वर्षों में सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली व महान भारत खड़ा हो सकता है। (Ramesh Modi Story)

– विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता-विहिप

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